बारह वर्षीय मीरा आज जब स्कूल से लौटी तो बहुत डरी-सहमी और खोई-खोई सी थी।
मीरा की बड़ी बहन राधा ने पूछा,तुझे क्या हुआ,जो तू इतनी उदास है?
मीरा ने कहा,कुछ नहीं।
मगर आज मीरा खेलने भी नही गयी ,और चुपचाप बिस्तर पर जाकर सिकुड़कर सो गयी।
शाम होने को आई,घर में इतनी चुप्पी देख, मीरा की माँ ने कहा,आज गिलहरी(मीरा) शांत है,लगता है उसकी तबियत खराब है।वरना इधर-उधर फुदकती रहती।
फिर मीरा की माँ कमरे में जाकर मीरा के बालों पर हाथ फेरते हुए कहा,क्या रे गिलहरी ,क्या हुआ? तेरी तबियत ठीक नही क्या? मीरा झट से माँ को कसकर पड़ लेती है।
तभी मीरा की माँ कहती ,क्या हुआ गिलहरी,क्या हुआ,तू इतना डर क्यों रही?
कोई बात है क्या? बोल बेटा, कोई बात है तो मुझे बता।
मीरा रोते हुए बताती है,माँ वो अंशु है न जो छठवीं कक्षा में पढ़ती है।
माँ ने कहा,हाँ बेटा, क्या हुआ अंशु को?उसने कुछ कहा क्या,या तुझसे लड़ाई की?
मीरा कहती है,नही माँ, नही।उसके ड्रेस में पूरा खून लग गया था स्कूल में।सारी बड़ी कक्षा की लड़कियाँ बातें बना रहीं थीं।
फिर मैम ने उसके घर फोन करके उसकी मम्मी को बुलाया और उसकी कपड़े लेकर स्कूल आईं और कपड़े बदलवाकर उसे घर ले गयीं।
बाद में मैम ने सारी लड़कियों को डाँटा की इस तरह बातें बनाने की जगह सभी को अंशु की सहायता करनी चाहिए थी।
मीरा की माँ ने कहा,हाँ ये तो सही कहा मैम ने।
मीरा ने कहा,माँ मैम बता रही थीं कि सभी लड़कियों के साथ ऐसा होगा,सबको इसके लिए तैयार रहना चाहिए।
मगर क्यों माँ, खून क्यों निकलेगा,कैसे निकलेगा,अगर मेरे साथ ऐसा होगा तो मैं क्या करूँगी? मुझे बहुत डर लग रहा है।
मीरा की माँ ने कहा,इसमें डरने की क्या बात है गिलहरी।ये सभी औरतों,लड़कियों के साथ होता।यह नैसर्गिक प्रक्रिया है।
अगर सही समय पर यह न हो तो बीमारियों का निमंत्रण है।
इससे डरने,घबड़ाने ,या शर्माने की जरूरत नही है,इसके लिए स्वयं को तैयार रखना चाहिए।
माहवारी के समय बाजार में मिलने वाले सैनिटरी पैड्स का प्रयोग करना चाहिए।और हर छः घण्टे पर पैड्स बदलते रहना चाहिए।
माँ एक लड़की बोल रही थी कि इस समय रसोई में नही जाना चाहिए।
मीरा की माँ ने कहा,नही बेटा ऐसी कोई बात नहीं है।
हाँ इस समय में अपने शरीर की अंदरूनी और बाह्य अंगों की सफाई पर ध्यान देना चाहिए।
इन दिनों तली भूनी मसालेदार चीजें नहीं खानी चाहिए।
हल्का और सुपाच्य भोजन करना चाहिए।
साथ ही साथ सामान्य पेट दर्द की स्थिति में गर्म पानी के बॉटल से सिंकाई और ज्यादा दर्द की स्थिति में डॉक्टर से परामर्श लेकर दवा लेनी चाहिए।
मीरा ने कहा मतलब यह छुपाने और शर्माने वाली कोई बात नहीं है।
मीरा की माँ ने कहा बिल्कुल नही बेटा, अगर माहवारी न हो तो कोई स्त्री कभी माँ नही बन सकती है। यह स्त्रियों के शरीर में सामान्य रूप से होने वाली प्रक्रिया है।
जिसमें महीने के चार-पाँच दिन थोड़ा अपना विशेष ध्यान रखने की जरूरत है।
मीरा अपनी माँ के गले लगते हुए बोली ,धन्यवाद माँ, मैं अपनी सहेलियों को भी इस बारे में बताऊंगी।और माहवारी को लेकर कोई भ्रांति नहीं पालूँगी।
कुछ भी दिक्कत होगी तो तुमसे या मैम से पूछ लूँगी।
मीरा की माँ ने कहा,बिल्कुल मेरी गिलहरी,खूब खुश रहो।
Ruchika