अजातशत्रु-मनु कुमारी

अजातशत्रु

          भारत मां के सच्चे सपूत, राष्ट्रपुरुष, राष्ट्र मार्गदर्शक, सच्चे देशभक्त, अजातशत्रु, भीष्म पितामह ना जाने कितनी उपाधियों से उन्हें पुकारा जाता था! भारत रत्न पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जी को । वह सही मायने में भारत रत्न थे। इन सब से भी बढ़कर अटल बिहारी बाजपेयी जी एक बहुत ही अच्छे इंसान थे जिन्होंने जमीन से जुड़े रहकर राजनीति की और “जनता के प्रधानमंत्री” के रूप में लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई थी। एक ऐसे इंसान जो बच्चे, युवाओं, महिलाओं, बुजुर्गों, सभी के बीच में लोकप्रिय थे। देश का हर युवा,बच्चा उन्हें अपना आदर्श मानता थ।

किसी के सामने हार नहीं मानने वाले और “काल के कपाल पर लिखने मिटाने वाले” वह अटल और विराट आवाज वाले शख्सियत जिनका व्यक्तित्व हिमालय के समान विराट था ऐसे महापुरुष का जन्म ग्वालियर में बड़ा दिन के अवसर पर 25 दिसंबर 1924 को हुआ था। अटल जी के पिता का नाम पंडित कृष्ण बिहारी पंडित और माता का नाम कृष्णा वाजपेयी था। उनके पिता ग्वालियर में अध्यापक थे साथ ही साथ वे हिंदी व ब्रजभाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे। अटल बिहारी वाजपेयी मूल रूप से उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा जिले के प्राचीन स्थान बटेश्वर के रहने वाले थे इसलिए अटल बिहारी वाजपेयी का पूरे ब्रज सहित आगरा से खास लगाव था। अटल बिहारी वाजपेयी जी की बी.ए. की शिक्षा ग्वालियर के वर्तमान में लक्ष्मी बाई कॉलेज के नाम से जाने वाले विक्टोरिया कॉलेज से हुई। स्नातक करने के बाद वाजपेई जी ने कानपुर के डी. ए. वी महाविद्यालय से कला में स्नातकोत्तर उपाधि प्रथम श्रेणी में प्राप्त की। अटल बिहारी वाजपेयी जी ने आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय लिया जिसका उन्होंने अपने अंतिम समय तक निर्वहन किया। बेशक वह कुँवारे थे लेकिन देश का हर युवा उनकी संतान की तरह था। देश के करोड़ों युवा उनकी संतान थे। बच्चों और युवाओं के प्रति उनका खास लगाव था। भारत की राजनीति में मूल्यों और आदर्शों को स्थापित करने वाले राजनेता और प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी जी का काम बहुत ही शानदार रहा। उनके कार्यो की बदौलत ही उन्हें भारत के ढांचागत विकास का दूरद्रष्टा कहा जाता है। सबके चहेते और विरोधियों का भी दिल जीतने वाले बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जी का सार्वजनिक जीवन बहुत ही बेदाग और साफ सुथरा था जिसके कारण हर कोई उनको सम्मान करते थे। उनके विरोधी भी उनके प्रशंसक थे। उनमें जवान सोच झलकती थी ! यही झलक उन्हें युवाओं में लोकप्रिय बनाती थी। वह एक प्रखर कवि भी थे। अपनी कविताओं के जरिए अटल जी हमेशा सामाजिक बुराइयों पर प्रहार करते रहे। उनकी हर कविताएं प्रेरणादायिनी हैं। 

उनका कार्यकाल प्रधानमंत्री के रूप में:-

वे भारत के दसवें प्रधानमंत्री थे। वे पहले 16 मई से 01 जून 1996 तक तथा फिर 19 मार्च 1998 से 22 म ई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। वे हिन्दी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता थे। वे भारतीय जनसंघ संस्थापकों में एक थे और 1968 से 1973 तक इसके अध्यक्ष भी रहे। उन्हें लंबे समय तक राष्ट्र धर्म, वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया। वैसे उनकी हर कविता प्रेरणा दायी हैं। प्रस्तुत है उन्हीं में से एक

मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ
लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूँ
तू दबे पाँव चोरी छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आजमा।
मौत से बेखबर जिंदगी का सफर,
शाम हर सुरमई, रात बंशी का स्वर।
बात ऐसी नहीं कि कोई गम भी नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।
प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बांकी है कोई गिला।
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये,
आंधियों में जलाएं हैं बुझते दिए।
आज झकझोरता तेज तूफान है,
नाव भँवरों की बाँहों में मेंहमान हैं।

ये कविता पढने पर उनकी आवाज कानों में गुंजती है। कितनी प्रेरणादायी है एक एक पंक्ति।

श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने 16 अगस्त 2018 को अपने पार्थिव शरीर का त्याग किया। पूरा देश शोक मग्न था। सभी उनकी मृत्यु पर रोये। उनकी मृत्यु से भारतीय राजनीति में अपूरणीय क्षति हुई है।
ऐसे महापुरुष को शत -शत नमन।

स्वरचित :-
मनु कुमारी
मध्य विद्यालय सुरीगांव
बायसी पूर्णियाँ 
रामबाग पूर्णियां

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