पर्यावरण संरक्षण : हमारा कर्तव्य : नूतन कुमारी

पर्यावरण हम मानव जाति के लिए ईश्वर का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ उपहार है। पर्यावरण की वजह से ही हम मानव जीवन का अस्तित्व हैं। पर्यावरण से हमें वो हर संसाधन… पर्यावरण संरक्षण : हमारा कर्तव्य : नूतन कुमारीRead more

वृक्षारोपण-वृक्षसंरक्षण : गिरीन्द्र मोहन झा

भारतीय संस्कृति में पर्यावरण/प्रकृति के सभी जीवनी-शक्तिदायिनी घटकों को देवतुल्य मानकर उनके प्रति श्रद्धा रखी जाती है। प्रथम सद्ग्रंथ वेद, जो कि अब भी संसार को दिखाने का काम करते… वृक्षारोपण-वृक्षसंरक्षण : गिरीन्द्र मोहन झाRead more

प्रकृति के साथ पुनः जुड़ाव की पुकार : सुरेश कुमार गौरव

परिचय: हर वर्ष 5 जून को सम्पूर्ण विश्व में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। यह केवल एक दिवस नहीं, बल्कि पृथ्वी की पुकार है — जीवन के संतुलन की… प्रकृति के साथ पुनः जुड़ाव की पुकार : सुरेश कुमार गौरवRead more

पर्यावरणीय चुनौतियाँ और हम : आशीष अम्बर

हमें जो स्वस्थ पर्यावरण विरासत में मिला है , वह हमारे पास भावी पीढ़ियों की धरोहर है । भावी पीढ़ी को यह धरोहर स्वच्छ व स्वस्थ रूप में सौंपना हमारा… पर्यावरणीय चुनौतियाँ और हम : आशीष अम्बरRead more

भाषा शिक्षण में अंग्रेज़ी भाषा की सार्थकता : सुरेश कुमार गौरव

भूमिका: भाषा न केवल संवाद का माध्यम है, बल्कि संस्कृति, ज्ञान और विकास का सेतु भी है। भारत जैसे बहुभाषी देश में जहाँ मातृभाषाओं की विविधता है, वहीं अंग्रेज़ी भाषा… भाषा शिक्षण में अंग्रेज़ी भाषा की सार्थकता : सुरेश कुमार गौरवRead more

छात्र, शिक्षक और अभिभावकों के बीच त्रिकोणीय संबंध और शिक्षा का सतत् विकास : सुरेश कुमार गौरव

प्रस्तावना: शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान का हस्तांतरण नहीं अपितु एक निरंतर प्रगतिशील प्रक्रिया है जो व्यक्ति के विचार, व्यवहार और व्यक्तित्व को समग्र रूप में विकसित करती है। इस प्रक्रिया… छात्र, शिक्षक और अभिभावकों के बीच त्रिकोणीय संबंध और शिक्षा का सतत् विकास : सुरेश कुमार गौरवRead more

कर्म और उसका फल : गिरीन्द्र मोहन झा

संस्कृत भाषा के कृ धातु में अच् प्रत्यय के योग से कर्म शब्द बना है। यत् क्रियते तत् कर्म अर्थात् जो किया जाता है, वही कर्म है।कर्म तीन प्रकार के… कर्म और उसका फल : गिरीन्द्र मोहन झाRead more

एक बेटी की उड़ान : सुरेश कुमार गौरव

गौरी को जब पहली बार आसमान में उड़ते हवाई जहाज़ को देखने का मौका मिला, वह बस चुपचाप उसे देखती रही। उसकी माँ ने पूछा – “क्या सोच रही है… एक बेटी की उड़ान : सुरेश कुमार गौरवRead more

मैं भी तो बेटी हूं : डॉ. स्नेहलता द्विवेदी आर्या

सलमा धीरे धीरे आकर मेरे बगल में झिझकते और शर्माती हुई ख़डी हो गई। पहले तो मैंने उसे तवज्जो नहीं दी लेकिन ज़ब वो किंकर्तव्यविमूढ़ होकर इधर उधर देखती हुई… मैं भी तो बेटी हूं : डॉ. स्नेहलता द्विवेदी आर्याRead more

बबली की पाठशाला : मो. ज़ाहिद हुसैन

संज्ञानात्मक विकास एवं शिक्षा-1( प्रथम पाठशाला) बच्चे जब पैदा होते हैं तो वे नये परिवेश में रोते हैं। मां जब उसके मुंह से स्तन को लगाती है तो वे स्वतःस्फूर्त… बबली की पाठशाला : मो. ज़ाहिद हुसैनRead more