कहना कठिन है, कर्म पहले आया अथवा विचार? रामायण के किष्किन्धाकाण्ड में केवल विचार है, तो परिणाम कुछ नहीं, लंकाकाण्ड या युद्धकाण्ड में केवल कर्म है, तो परिणाम में पतन… कर्म और विचार- गिरीन्द्र मोहन झाRead more
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शुभस्य शीघ्रं अशुभस्य कालहरणम् -गिरीन्द्र मोहन झा
रावण के द्वारा दी गयी शिक्षा शुभस्य शीघ्रं अशुभस्य कालहरणम्(शुभ कार्य जब मन में आए तो उसे शीघ्र कर लो, अशुभ जब मन में आए तो उसे टालते चले जाओ।)… शुभस्य शीघ्रं अशुभस्य कालहरणम् -गिरीन्द्र मोहन झाRead more
समर्पण से शक्ति तक, पांच साल बेमिसाल – डॉ मनीष कुमार
#पांच साल बेमिसाल बिहार के शिक्षा विभाग में शिक्षकों ने स्वप्रेरणा से एक ऐसी गतिविधि से जुड़ते गए जहां से शिक्षकों के खुद की जो बहुमुखी विकास के साथ-साथ शिक्षार्थी,… समर्पण से शक्ति तक, पांच साल बेमिसाल – डॉ मनीष कुमारRead more
“समाज को बदल डालो – विमल कुमार ‘विनोद’
— एक रंगमंचीय नाटक ओपनिंग दृश्य- सुबह का समय मंदिर का दृश्य,बहुत सारे लोग मंदिर में हैं,घंटी बजती है,आरती शुरू होती है।सभी लोग आरती करते हैं)पंडित जी-(सभी भक्तों से बोलिये)सर्वमंगलमांगलये… “समाज को बदल डालो – विमल कुमार ‘विनोद’Read more
नालायक बेटा”एक लघुकथा- श्री विमल कुमार
पृष्ठभूमि-सरोज नाम का एक लड़का है,जिसके पिता जी व्यवसाय करते हैं,माता जी गृहिणी हैं।पिता सुबह उठकर अपने दुकान पर चले जाते हैं, सरोज पढ़ने के नाम पर घर से निकलता… नालायक बेटा”एक लघुकथा- श्री विमल कुमारRead more
जिम्मेवारी- संजीव प्रियदर्शी
शादी के तुरंत बाद बिटिया की बिदाई हो रही थी और वह माँ के गले लिपट कर जार-जार रोती जाती थी। ऐसी हालत पिछले कई दिनों से थी उसकी।जब से… जिम्मेवारी- संजीव प्रियदर्शीRead more
माँ का साया- श्री विमल कुमार “विनोद”
रबिया नामक एक साधारण परिवार की औरत जो कि बड़े अरमान के साथ अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को जन्म देने के लिये उत्साह से ओत-प्रोत होकर उसके सकुशल… माँ का साया- श्री विमल कुमार “विनोद”Read more
असली कमाई-संजीव प्रियदर्शी
चिलचिलाती धूप में ठेले पर ईख का रस बेचने वाले एक दिहाड़ी से मैंने पूछ लिया- ‘ दोपहर की इस भयानक गर्मी में पसीना बहाकर कितनी कमाई कर लेते हो?’‘कमाई… असली कमाई-संजीव प्रियदर्शीRead more
पागल कौन?” -श्री विमल कुमार”विनोद”
श्री विमल कुमार”विनोद”लिखितनरेश नामक एक छोटा सा बालक जो कि बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि का था जिसका जन्म एक साधारण से परिवार में हुआ था।बचपन से ही लोग कहा… पागल कौन?” -श्री विमल कुमार”विनोद”Read more
“चलो विद्यालय चलें”-श्री विमल कुमार
ओपनिंग दृश्य गाँव का दृश्य-बहुत सारे बच्चे-बच्चियाँ खेल रहे हैं।कुछ बच्चे गाय-बकरी चराने जा रहे हैं।इसी समय कुछ बच्चे जिनके कपड़े फटे-पुराने हैं जो कि उसी रास्ते से होकर विद्यालय… “चलो विद्यालय चलें”-श्री विमल कुमारRead more