कास्टिंग सीन-बचाओ,बचाओ,अरे कोई तो बचाओ,बचने का कोई भी उपाय तो बताओ। चारों ओर तबाही ही तबाही नजर आ रही है।(नेपथ्य से आश्चर्य पूर्वक ) तबाही ,अरे किस बात की तबाही।… “पर्यावरण की तबाही”- श्री विमल कुमार “विनोद”Read more
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हाहाकार- श्री विमल कुमार”विनोद”
एक लघु नाटिका पृष्ठभूमि- गर्मी,गर्मी,शरीर गर्मीसे जल रहा है,जीवन जीना दूभर हो गया है,गर्मी की उमस ने तो जीना मुश्किल सा कर दिया है।बचाओ,इस उमस भरी गर्मी से बचाओ।(तभी अचानक… हाहाकार- श्री विमल कुमार”विनोद”Read more
चरित्रहीन”-02 -श्री विमल कुमार”विनोद”
एक गाँव में सुशीला नामक एक 20 वर्षीय औरत जिसकी शादी रामू नामक एक साधारण आदमी से हुई थी।रामू एक साधारण मजदूर था जो कि प्रतिदिन मजदूरी करके शाम को… चरित्रहीन”-02 -श्री विमल कुमार”विनोद”Read more
परंपरागत संस्कृति की झलक- श्री विमल कुमार”विनोद”
ग्रामीण सामाजिक परंपरा एवं संस्कृति पर आधारित श्री विमल कुमार”विनोद” लिखित लघुकथा “परंपरागत संस्कृति की झलक”प्रस्तुत है।मोहन नामक एक शहर के रहने वाले शिक्षक की नियुक्ति ग्रामीण क्षेत्र में हो… परंपरागत संस्कृति की झलक- श्री विमल कुमार”विनोद”Read more
दुःख में छिपा सुख- श्री विमल कुमार “विनोद”
आज से लगभग पचास वर्ष पूर्व की बात है,किसी गाँव में एक मध्यम वर्गीय परिवार था,जिसमें परिवार के मुखिया रेलवे में टाॅली मैन की साधारण सी नौकरी कर रहे थे,कम… दुःख में छिपा सुख- श्री विमल कुमार “विनोद”Read more
सबक – रेवती रानी
एक लड़का, नाम था किसन। माँ का बहुत ही दुलारा था इसलिए बहुत ही शरारती था। उसकी उम्र पाँच वर्ष थी। हमेशा वह कुछ न कुछ गड़बड़ी करते रहता था।… सबक – रेवती रानीRead more
राजू को समझ आई -कुमकुम कुमारी
(राजू नहाते हुए) माँ-माँनल से पानी नहीं आ रहा है! माँ- क्यों?नल को ठीक से खोलो।राजू- माँ नल खुला हुआ है। माँ- अरे तो फिर पानी क्यों नहीं आ रहा… राजू को समझ आई -कुमकुम कुमारीRead more
सचेतक स्वामी विवेकानंद जी-कुमारी निरुपमा
सचेतक स्वामी विवेकानंद जी भारतीयता के ताने-बाने से बुना हुआ व्यक्तित्व, मातृभूमि के दुरावस्था से व्यथित हृदय और तत्कालीन समय में युवाओं के सचेतक स्वामी विवेकानंद जी… सचेतक स्वामी विवेकानंद जी-कुमारी निरुपमाRead more
कवि कौन-कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’
कवि कौन जो अपनी लेखनी की ताकत से समाज का दशा व दिशा बदल दे, कवि वो है। कहते हैं कि कलम की धार तलवार… कवि कौन-कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’Read more
स्वगुण-कुमारी निरुपमा
स्वगुण एक सप्ताह पहले की बात है, नाव से पार करते समय एक बुजुर्ग महिला और उसके साथ उसकी दो युवा पौत्री भी थी। वह सभी उस… स्वगुण-कुमारी निरुपमाRead more