साइबर सुरक्षा और जागरुकता की आवश्यकता : आशीष अम्बर

विषय वस्तु – आज इंटरनेट हमारे दैनिक जीवन के अभिन्न अंगों में से एक बन गया है । वह हमारे दैनिक जीवन के अधिकांश पहलुओं को प्रभावित कर रहा है । साइबरस्पेस हमें वर्चुअल रूप से दुनिया भर के करोड़ों ऑनलाइन उपयोगकर्ताओं से जोड़ता है । साइबर खतरों में चिंताजनक रूप से वृद्धि हो रही है । डिजिटल प्रौद्योगिकी की प्रगति के साथ साइबर अपराधों का परिष्करण भी बढ़ रहा है । इस परिदृश्य में यह अनिवार्य है कि भारत अपने साइबरस्पेस में विद्यमान खामियों पर सूक्ष्मता से विचार करें और एक अधिक व्यापक साइबर – सुरक्षा नीति के माध्यम से उन्हें एक समग्र रूप से व्यवस्थित कर सकें ।

साइबर सुरक्षा :-
साइबर सुरक्षा या सूचना प्रौद्योगिकी सुरक्षा कम्प्यूटर , नेटवर्क , प्रोग्राम और डेटा को अनधिकृत पहुँच या हमलों से बचाने की तकनीकें हैं , जो साइबर – भौतिक प्रणालियों और महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना के दोहन पर लक्षित है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम , 2000 की धारा 70 ( 1 ) महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना को एक कम्प्यूटर संसाधन के रूप में परिभाषित करनी है, जिसकी अक्षमता या विनाश का राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, सार्वजनिक स्वास्थ्य या सुरक्षा पर काफी प्रभाव पड़ेगा ।

भारत में साइबर हमलों के कुछ उदाहरण :-* वर्ष 2020 में लगभग 82% भारतीय कम्पनियों को रैन समवेयर हमलों का सामना करना पड़ा ।

  • मई 2017 में भारत के 5 प्रमुख शहर (कोलकाता, दिल्ली, भुवनेश्वर, पुणे और मुम्बई )’ Wanna Cry ‘ रैनसमवेयर हमले से प्रभावित हुआ ।
  • वर्ष 2021 में एक हाई – प्रोफाइल भारत – आधारित कम्पनी ‘Juspay’ को डेटा उल्लंघन का सामना करना पड़ा जिसमें 35 मिलियन ग्राहक प्रभावित हुए।
  • फरवरी 2022 में एयर इंडिया को एक बड़े साइबर हमले का सामना करना पड़ा, जहाँ लगभग 4.5 मिलियन ग्राहक रिकॉर्ड के लिए खतरा उत्पन्न हुआ । यहाँ पासपोर्ट, टिकट और क्रेडिट कार्ड सम्बन्धी सूचना की गुप्तता भंग हुई ।

साइबर खतरों के प्रमुख प्रकार :-

  1. रैनसमवेयर(Ransomwere)
  2. ट्रोजन हार्सेस(Trojan Horses)
  3. क्लिक जैकिंग (Clickjacking)
  4. डिनाइल ऑफ सर्विस(DOS) हमला
  5. मैन इन मिड्ल अटैक(Man in Middle Attack)
  6. क्रिप्टोजैकिंग(Criptojacking)
  7. जीरो डे बल्नेरिबिलिटी (Zero Day Vulnerability)

भारत में साइबरस्पेस से संबंधित चुनौतियाँ :-

  • क्षमता की वृद्धि , भेद्धता का विस्तार :- नागरिकों के डिजिटल एकीकरण के साथ भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था फली – फूली है, लेकिन इसने डेटा चोरी की भेद्धता भी पैदा की है। सरकार विभिन्न क्षेत्रों में ‘ डेटा प्रवाह’ के लिए सभी बाधाओं को दूर करने की अपेक्षा करती थी । इस आख्यान के परिणामस्वरूप टेक – उद्योग ने डेटा संरक्षण के प्रति केवल खानापूरी ही की है।
  • विदेशों में डेटा का संग्रहण : – लगभग प्रत्येक क्षेत्र में ही डिजिटलीकरण की ओर बढ़ने की होड़ ने भारत के बाहर एप्लीकेशन सेवा प्रदाताओं के साथ सहयोग को बल दिया है, ताकि ग्राहक शीघ्रातिशीघ्र सर्वोत्तम एप्प और सेवाओं तक पहुँच सकें । विदेशी स्त्रोतों से प्राप्त हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर या भारत के बाहर के सर्वरों पर भारी मात्रा में डेटा की पार्किंग हमारे राष्ट्रीय साइबरस्पेस के लिए खतरा पैदा करता है ।
  • प्रॉक्सी साइबर अटैक :- कृत्रिम बुद्धिमत्ता स्वचालित घातक हथियार प्रणाली के निर्माण में सक्षम है, जो मानव संलग्नता के बिना ही जीवन और लक्ष्य को नष्ट कर सकती हैं । नकली डिजिटल मुद्रा और नवीनतम साइबर प्रौद्योगिकियों की सहायता से बौद्धिक सम्पदा की चोरी जैसी अवैध गतिविधियों की भेद्धता से भी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न हुआ है ।

निष्कर्ष : – हमें इन सब बातों पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है तभी देश की सुरक्षा एवं साइबर सुरक्षा जैसे संवेदनशील मामलों में हम निश्चिंत हो सकते हैं ।

आशीष अम्बर
(विशिष्ट शिक्षक )
उत्क्रमित मध्य विद्यालय धनुषी
प्रखंड – केवटी
जिला – दरभंगा
बिहार

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