तालियों की गड़गड़ाहट के बीच सुधा जी का जोरदार स्वागत किया गया। सुधा जी को नारी उत्थान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान और स्त्रियों के सुरक्षा और सहयोग के लिए जिला सरकार द्वारा सम्मानित किया जा रहा था। सुधा जी के चेहरे पर दर्प मिश्रित मुस्कान थी। तभी उनके फ़ोन की घण्टी बजी।
फ़ोन उठाते ही उनके चेहरे का हाव-भाव बदल गया था। और बड़ी ही रुखाई से उन्होंने कहा, चुपचाप मेरे आने से पहले सारे काम खत्म हो जाने चाहिए।
कहीं बाहर जाने की जरूरत नही है। पढ़कर कलक्टर नहीं बनना है।
उधर से पता नहीं क्या कहा गया, मगर बड़ी ही कड़ाई से उनका जबाब था। मैंने एक बार कह दिया तो कह दिया। समझ नहीं आता। फ़ोन रखो।
फ़ोन रखने के बाद फिर उनके चेहरे पर वही दर्प मिश्रित मुस्कान थी।
सुधा जी के साथ उनकी सहायिका यह सोच रही थी कि घर की बहू को पढ़ने जाने की इजाज़त नही और नारी उत्थान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए पुरस्कार।
वाह रे दोहरा चेहरा, वाह रे मुखौटा।
रूचिका
प्रधान शिक्षिका
प्राथमिक विद्यालय कुरमौली, गुठनी सिवान