मैं सोनु हूं।
मुझे गर्मी की छुट्टी का इंतजार रहता है, क्योंकि मेरा मन तो सबसे पहले नानी के गांव जाने का करता है ।
वहां पर मैं अपनी बहन सलोनी एवं मामा जी की जुड़वा बेटियां साक्षी ,सोनाक्षी के संग मजे से खेलता हूं। मैं अपने मम्मी ,पापा एवं बहन सलोनी के साथ नानी के गांव पहुंच चुका हूं ।नानी दरवाजे पर मुस्कुराते हुए हमारे आने का इंतजार कर रहे थी ।
जैसे ही हम दोनों भाई-बहन पहुंचते हैं, नानी दोनों को गले से लगा लेती है।
थोड़ी देर बाद
नानी हम सभी बच्चों के लिए बहुत प्रकार के फलों को खाने के लिए मेज पर ढेर लगा देती है ।हम सलोनी, साक्षी, सोनाक्षी संग बैठकर फलों का मजा चखने लगते हैं।
हमने पूछा नानी- यह फल कहां से आते हैं ?
तो नानी ने कहा- पेड़ पौधों से ।
तो हमने पूछ दिया -यह पेड़ पौधों कैसे उगते हैं ?
नानी तपाक से बोली – फलों के बीज से ।
तब सलोनी पूछी –
यह बीज कहां से उगते हैं ?
नानी ने कहा- धरती के अंदर से।
तो मैं हंस कर बोल बीज के तो पैर नहीं होते तो यह धरती के अंदर कैसे पहुंचता है ?
इतने में नानी बोली चलो मैं आज तुमको एक परी की कहानी सुनाता हूं।
पेड़ पर एक छोटी सी परी रहती है ।जिसको गिलहरी परी कहते हैं। ये पेड़ों पर झट से चढ़ जाती है ।
एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर कुदकती -फूदकती रहती है ।ये मीठी-मीठी फल खाती है । कुछ फलों को बाद में खाने के लिए धरती के अंदर छुपा देती है। कभी-कभी यह छिपे फल निकाल कर खाना भूल जाती है तो यही फल का बीज पेड़ बन जाता है।
मैं खुश हो कर बोला -अरे वाह !गिलहरी परी तो सचमुच हमारे लिए मददगार होती है।