निष्प्रभावी होता सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध : आशीष अम्बर

प्लास्टिक के खतरनाक प्रभावों को देखते हुए भारत को ‘ सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त भारत ‘ बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 1 जुलाई , 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं के उपयोग पर प्रतिबंध लगाए जाने की घोषणा की गई थी । प्रतिबन्धित प्लास्टिक में ईयरबड्स, गुब्बारे के लिए प्लास्टिक की छड़े, झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम स्टिक , पालिस्टाइनिन ( थर्मोकोल ) , प्लेट, कप, गिलास, काँटे , चम्मच, चाकू , पुआल, ट्रे , निमंत्रण कार्ड, सिगरेट के पैकेट , 100 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक , पीवीसी बैनर, स्टिटर रैपिंग या पैकेजिंग इत्यादि करीब 19 प्रकार की वस्तुएं शामिल थी । पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया था कि पॉली स्टाइनिन , और एक्सपैंडेड पॉली स्टाइनिन सहित सिंगल यूज प्लास्टिक को परिभाषित करते हुए कहा गया था कि सिंगल यूज वाली प्लास्टिक वस्तु का अर्थ है, प्लास्टिक की वह वस्तु , जिसे डिस्पोज या रिसाइकिल से पहले एक काम के लिए एक ही बार यूज किया जाना है । सिंगल यूज प्लास्टिक प्रायः प्लास्टिक की ऐसी वस्तुएँ होती हैं, जो रिसाइकलिंग प्रक्रिया के लिए नहीं जाती बल्कि इन्हें केवल एक बार इस्तेमाल करने के बाद फैंक दिया जाता है । सरकार द्वारा यह भी कहा गया था कि 75 माइक्रोन से कम मोटाई के पॉलीथीन बैग पर प्रतिबन्ध के बाद 120 माइक्रोन से कम के पॉलीथीन बैग पर भी प्रतिबन्ध लगाया जाएगा।

सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ अभियान छेड़ने का कारण यही था कि यदि सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग नहीं रोका गया तो भू – रक्षण का नया स्वरूप सामने आएगा और फिर जमीन की उत्पादकता को वापस प्राप्त करना असंभव होगा। प्लास्टिक प्रदूषण में सिंगल यूज प्लास्टिक का बड़ा योगदान रहा है । इस प्रकार के उत्पादों का कचरा सीवेज सिस्टम के लिए बड़ी चुनौती उत्पन्न करता रहा है और ये उत्पाद जमीन से लेकर पानी तक को भी बुरी तरह प्रदूषित कर रहे हैं । सिंगल यूज प्लास्टिक अक्सर नालों के जाम होने का भी बड़ा कारण है, जिससे शहरी बाढ़ जैसी गम्भीर समस्या भी पैदा हो जाती है । हमारे घरों के कचरे से लेकर पड़ोस के कूड़ेदान तक सिंगल यूज प्लास्टिक ही कचरे में सबसे ज्यादा होता है, बड़ी मात्रा में यही कचरा नालों से बहकर नदियों और समुद्र तक पहुंचता है । समुद्र में पहुंचने पर इसी प्लास्टिक कचरे को समुद्री जीव – जन्तु निगल लेते हैं । समुद्र से निकाली जाने वाली मछलियों तथा अन्य सी – फूड को खाने से प्लास्टिक के ये टुकड़े इंसानों के पेट तक पहुंच सकते हैं, जो आँतों में ब्लॉकेज पैदा कर सकते हैं । भारत में प्लास्टिक कचरे की समस्या कितनी गंभीर है, यह इसी से समझा जा सकता है कि वर्ष 2020 – 21 के दौरान ही देश भर में 4.12 मिलियन टन प्लास्टिक कचरे का उत्पादन हुआ था । कुल प्लास्टिक कचरे में 10 से 35 प्रतिशत तक सिंगल यूज प्लास्टिक ही होता है । आंकड़ें पर नजर डालें तो भारत में प्रति वर्ष करीब 4 किग्रा प्रति व्यक्ति प्लास्टिक कचरा पैदा होता है । एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक से पर्यावरण अव्यवस्थित होता है । पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक अधिकांश प्लास्टिक नष्ट होने वाले या बायोडिग्रेडेबल नहीं होते बल्कि वे धीरे – धीरे छोटे टुकड़ों में टूट जाते हैं, जिन्हें माइको प्लास्टिक कहा जाता है ।

सिंगल यूज प्लास्टिक चूँकि ‘ स्वच्छ भारत अभियान’ में भी सबसे बड़ी बाधा है, इसलिए लोगों से प्लास्टिक मुक्त भारत की मुहिम में योगदान देने के लिए बाजार से खरीदारी के लिए पॉलीथीन के बजाए कपड़े का थैला इस्तेमाल करने की अपील भी की जाती रही है, लेकिन जिस प्रकार सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध को लागू कराने के मामले में सरकारी तंत्र द्वारा लगातार उदासीनता बरती जाती रही हैं । सिंगल यूज प्लास्टिक ऐसा प्लास्टिक है , जिसे हम एक बार इस्तेमाल कर कूड़े में फैंक देते हैं । पॉलीथीन चूँकि पेपर बैग के मुकाबले सस्ती पड़ती है और टिकाऊ भी है, इसलिए अधिकांश दुकानदार इसका इस्तेमाल करते हैं ।

‘ प्लास्टिक मुक्त भारत’ अभियान से जुड़े अधिकारियों का दावा था कि सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लग जाने से भारत में 14 मिलियन टन प्लास्टिक की खपत कम हो जाएगी, लेकिन यह लक्ष्य तभी हासिल होगा, जब नियमों को सख्ती से लागू कराने के प्रति केन्द्र और राज्य सरकारें गम्भीर हों और लोगों को भी इस दिशा में जागरूक किया जाए।

आशीष अम्बर, शिक्षक
उत्क्रमित मध्य विद्यालय धनुषी
केवटी, दरभंगा
बिहार

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