पर्यावरणीय चुनौतियाँ और हम : आशीष अम्बर

हमें जो स्वस्थ पर्यावरण विरासत में मिला है , वह हमारे पास भावी पीढ़ियों की धरोहर है । भावी पीढ़ी को यह धरोहर स्वच्छ व स्वस्थ रूप में सौंपना हमारा दायित्व व कर्तव्य है । स्वस्थ और स्वच्छ पर्यावरण स्वस्थ मानव जाति के अस्तित्व व विकास के लिए भी आवश्यक है । पर्यावरण संरक्षण की समस्या मूलतः 20वीं सदी की देन है । पर्यावरण में वायु , जल , पहाड़ , मैदान रेगिस्तान , पठार , वन, विविध जीव – जन्तु शामिल है । इन सभी के बीच अन्योन्याश्रित अन्तर्संबंध रहता है और प्रकृति स्वयं अपना पारिस्थितिक संतुलन स्थापित करती है , किंतु इस सृष्टि की सर्वोत्तम कृति मनुष्य ने अपनी बुद्धि का आश्रय लेकर जीवन को सुखमय और विलासितापूर्ण बनाने के अनेकानेक उपकरणों का आविष्कार किया है । ये नित नए आविष्कार और औद्योगिकीकरण प्रकृति के संतुलन को नष्ट कर रहें हैं । परिणामस्वरूप , आज वायु, जल और भूमि तीनों अत्यंत प्रदूषित हो चुके हैं । महानगरों में यह समस्या और भी गम्भीर हो गई है ।
विकास आज विनाश का पर्याय बनता जा रहा है । वायु को मोटर वाहनों और उद्योगों की चिमनियों से निकले विषैले धुएँ ने प्रदूषित कर दिया है, जल को औद्योगिकी निर्माण के दौरान निकलने वाले घातक रसायनों के निःस्राव और जल – मल ने । भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए जिन रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल हम कर रहे हैं वे ही उर्वरक भूमि को प्रदूषित कर रहे हैं, फसल पर भी रसायनों के घातक प्रभाव पड़ रहे हैं । बढ़ते वाहनों का धुआँ , औद्योगिकीकरण की तीव्र गति कचरे का बढ़ता ढ़ेर , सफलता और विलास के साधन पर्यावरण को तेजी से प्रदूषित कर रहे हैं । अब समय आ गया है कि हम विकास के उन साधनों को ही अपनाएं, जो पर्यावरण के अनुकूल हों । प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन ने भी हमारे समक्ष इन संसाधनों की वैकल्पिक सामग्री तलाशने की और सीमित संसाधनों के विवेकपूर्ण इस्तेमाल की चुनौती मायने रखती है । पर्यावरण एक देश विशेष तक सीमित न होकर आज एक विश्वव्यापी (GLOBAL) समस्या बन गया है । पर्यावरण के महत्व को देखते हुए भारत सरकार ने ECO मानकीकरण योजना लागू करने का निश्चय किया है। प्लास्टिक के सिंगल यूज कचरे का निपटान हो या फिर जंगलों का बेतहाशा कमी , या फिर ग्लेशियर का पिघलना हो । ये सभी चिंता का विषय है । तो आइए हम प्रण करें कि इस पर्यावरण दिवस पर राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्य का हरसंभव निर्वहन करें।

आशीष अम्बर, शिक्षक
उक्रमित मध्य विद्यालय धनुषी
केवटी, दरभंगा

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