शीर्षक – मददगार तोता
रामपुर नाम का एक सुंदर गांव था। ये गांव चारों तरफ हरे भरे पेड़ों से घिरा हुआ था। इस गांव के सभी लोग मेहनती एवं ईमानदार थे। वे सभी प्रकृति प्रेमी थे। गांव के लोग पशु पक्षियों की रक्षा करते थे। उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाते थे। सोहनलाल नाम का एक किसान अपनी छ साल की बच्ची मिनी के साथ रहता था। सोहनलाल जब काम करने खेतों पर चला जाता था तब मिनी पास के बगीचे में जाकर पक्षियों से बातें किया करती थी।एक दिन एक घायल तोता का बच्चा उसके पास आ गिरा। मिनी ने उसे अपने घर लेकर आई और उसकी खूब सेवा की। तोता का बच्चा मिनी के साथ घुल मिल गया। एक दिन सोहनलाल जब खेतों से घर आया तो वो बीमार पर गया। छोटी सी बच्ची मिनी अकेले क्या करती।वो बहुत परेशान हो गई। सोहनलाल अपनी बच्ची को परेशान होते देख अपने आपको ठीक होने का दिखावा करता था लेकिन कितने दिन? दिन प्रतिदिन उसकी तबियत खराब हो रही थी। मिनी अपने पिता की खराब तबीयत को देखकर बहुत दुखी रहने लगी। एक दिन मिनी बगीचे में बैठकर रो रही थी। उसी बगीचे में एक तोता बहुत देर से ये सब देख रहा था। तोता मिनी का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए जोर जोर से बोलने लगा – “उठो मिनी उठो, अपनी आँखें खोलो।
अपनी चुप्पी तोड़ो, बात क्या है बोलो, बात क्या है बोलो……!”
आवाज से सुनकर मिनी अपनी आँखें पोछी और आवाज किधर से आ रही है देखने लगी। उसने देखी एक सुंदर तोता लगातार वहीं बाते दोहराए जा रहा था। मिनी पहचान गई कि वो तो उसी तोता की मां है जिसके बच्चे की मिनी ने मदद की थी। मिनी ने अपने पिता के बीमार होने की बात उसे बता दी। तोता ने मिनी को वही रुकने को कहकर उड़ गई। कुछ देर के बाद तोता अपने मुंह में कुछ जड़ी बूटी लेकर आया और मिनी को देते हुए बोला कि तुमने मेरे बच्चे की जान बचाई थी मैं इस उपकार को नहीं भूला हूं। ये जड़ी बूटी पिसकर अपने पिता को पिलाओ वो जल्दी ही ठीक हो जाएंगे। मिनी तोता का धन्यवाद करते हुए घर वापस आ गई। घर आकार उसने जड़ी बूटी पिसकर अपने पिता को पिलाई उसके पिता का स्वास्थ ठीक होने लगा। कुछ ही दिनों के बाद मिनी के पिता पूरी तरह से स्वस्थ हो गए। मिनी और उसके पिता खुशी खुशी साथ रहने लगे।
नैतिक शिक्षा-1 उपकार के बदले हमेशा उपकार ही मिलता है।
2 हर जीव के प्रति दया का भाव रखना चाहिए।
उषा कुमारी
प्राथमिक विद्यालय महिनाथपुर
प्रखंड – झंझारपुर, जिला- मधुबनी