अमृता की पेंटिंग- अदिति भूषण

अमृता गाँव की सबसे होशियार और मेहनती लड़की थी। उसकी आँखों में हमेशा एक विशेष चमक रहती थी, जैसे वह कुछ बड़ा करना चाहती हो। उसके दिल में अपने देश के प्रति गहरा प्रेम था। गाँव में हर साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक प्रतियोगिता होती थी, जिसमें गाँव के बच्चे अपनी कला, संगीत और नृत्य का प्रदर्शन करते थे। अमृता को यह मौका पसंद था, क्योंकि इस अवसर पर वह अपनी भावनाओं को खूबसूरती से व्यक्त कर पाने में समर्थ थी। इस साल उसने तय किया कि वह स्वतंत्रता संग्राम की एक ऐतिहासिक घटना को पेंटिंग के माध्यम से जीवंत करेगी। उसने दिन-रात मेहनत की, अपनी पेंटिंग में स्वतंत्रता सेनानियों की मेहनत, उनकी चुनौतियाँ और उनके बलिदान को दर्शाने की कोशिश की।उसकी पेंटिंग में नेताजी सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गाँधी, भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद की छवियाँ थीं। उसने पेंटिंग में उस समय की कठिनाइयों और संघर्षों को खूबसूरती से उकेर दिया था। स्वतंत्रता दिवस आया, और गाँव के मेले में उसकी पेंटिंग प्रदर्शित की गई। गाँव वालों की भीड़ उमड़ पड़ीं और सभी लोग उसकी पेंटिंग को देखकर गर्व महसूस कर रहे थे। हर व्यक्ति को उसकी पेंटिंग में देशभक्ति की भावना साफ नजर आ रही थी। अमृता की पेंटिंग को देखकर, गाँव के बुजुर्गों की आँखों में आँसू थे। उन्होंने कहा, “यह पेंटिंग हमारे इतिहास और हमारे संघर्ष की एक जीवंत तस्वीर है। यह हमें याद दिलाती है कि हम जो आज हैं, वह उन वीरों की वजह से हैं जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी।” अमृता के चेहरे पर खुशी की चमक थी। उसकी मेहनत और देशभक्ति ने सबका दिल जीत लिया था। वह जानती थी कि स्वतंत्रता सिर्फ एक दिन का उत्सव नहीं है, बल्कि यह एक स्थायी संकल्प है—अपने देश के प्रति ईमानदारी और प्यार का। इस घटना ने अमृता को यह सिखाया कि छोटे-छोटे प्रयास भी देश के प्रति हमारे प्यार और सम्मान को प्रकट कर सकते हैं। वह अपने देश के प्रति अपनी कृतज्ञता और समर्पण को हर दिन महसूस करती थी और उसकी पेंटिंग ने तो इस भावना को और भी गहरा कर दिया।
अदिति भूषण
विद्यालय अध्यापक
कंप्यूटर विज्ञान (11-12)
उ० मा० वि० आलमपुर कोदरिया विभूतिपुर, समस्तीपुर

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