बच्चे मस्ती में

 

🙏ऊँ कृष्णाय नमः🙏
ToB बाल सागर चित्र कथा प्रतियोगिता
बाल कथा।(चित्र-3)
बच्चे मस्ती मेंं”
एक गाँव जिसका नाम गंगापुर है।वहाँ भी अन्य कस्बों-बस्तियों जैसा ही एक प्रा.वि.विद्यालय अवस्थित है।
वहाँ के बच्चों के चेहरे पर अचानक खुशी की रेखा साफ झलकने लगी थी।
शोरगुल भी होने लगा था।
आने-जाने वाले राहगीर भी रुक जाते थे।
ऐसे भी वहाँ का चापाकल मुसाफिरों के लिए सदैव मुस्तैदी से चालू अवस्था में रहता था।
बच्चों को इस विद्यालय के गुरुजनों से एक महत्वपूर्ण संस्कार मिला है।
यदि कोई राहगीर प्यासा है और छात्रों की नजर उस पर पड़ जाए तो चापाकल से पानी भर कर उसे नि:संकोच जल भेंट करता था।
कौतूहलवश ग्रामीण भी बच्चों के आनंद का रहस्य जानना चाहते थे।
परंतु बच्चे भी किसी से कम नहीं थे।
वे सब अभी गर्मी के छुट्टियों के बारे में किसी को बताना नहीं चाहते थे।
विद्यालय के आस-पास रहने वाले माता-पिता अपने-अपने बच्चों से पूछताछ कर रहे थे।किन्तु कोई लाभ नहीं हुआ।विद्यार्थियों ने रहस्य को और रहस्यमय बना दिया।
अचानक शोरगुल बंद हो गया।छात्राओं ने अपनी कक्षा में पुनः शांतिपूर्ण ढंग से बैठ गए। अपने बस्ते से कलम कापी निकाल लिया।
वर्ग शिक्षक द्वारा श्यामपट्ट पर कुछ कार्य करने के लिए विषय वार प्रश्न दिये गए।
एकाग्रचित्त होकर छात्र प्रश्नों को उतार रहे थे।
विद्यालय प्रधान का प्रवेश होता है।
सभी बच्चों को संबोधित करते हुए कहते हैं कि सभी को ज्ञात है कि विद्यालय आज से बंद रहेगा।पुनः बीस दिनों के बाद अमुक तिथि को स्कूल खुलेगा।
घर पर मस्ती के साथ पढाई भी करनी है।कार्य भी दिया जा चुका है।
छुट्टी की घंटी बजती है।सभी बच्चे गुरुजी को नमन करते हुए सुमन की तरह मुसकराते हुए अपने-अपने गृह को जाने लगते हैं।
गाँव में एक बगीचा है।उसमें विभिन्न प्रकार के वृक्ष लगें हैं।परन्तु जो सबको आकर्षित कर रहा है वह है आम का पेड़।उस लगे हरे-भरे फल।
बचपन की बात बचपन ही जाने।मस्ती का कोई भी पल बच्चे गँवाना नहीं चाहते हैं।परिस्थितियाँ विपरीत ही क्यों न हो।
बगीचे में रखवाले खाट पर सोया हुआ था।बच्चे भी छुट्टी की मस्ती में मस्ताना बन कर कुँज-कुँज घूम रहा था।
श्याम ने अपनी मंडली को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज आम खाना है,चाहे वह खट्टा हो या मीठा।रामू ने कहा कि कैसे?विमल बोला कि वहाँ तो दादा सो रहे हैं।उनका नींद कुकुर के जैसा है।
भोला ने कहा कि मैं बगीचा के बाहर से ढेला मार कर और आवाज लगा कर छुप जाऊँगा।जैसे ही वह बाहर की ओर भागे तुम सब जल्दी से चतुर शिकारियों की तरह आम के पेड़ पर टूट पड़ना।
योजनाबद्ध तरीकों से सभी बच्चे अपने काम पर लग गए और सफलता भी मिली।
सभी दोस्त मीठे आम का स्वाद चख कर आनंदित हुआ।
कुछ समय के उपरांत पुनः बैठक हुई।
इस बार खाने की बात नहीं, बल्कि पढ़ाई की बात हुई।होम वर्क कैसे पुरा हो और किसी को दिक्कत है तो उसे सहयोग करना।
गर्मी की छुट्टियाँ खत्म होते ही बच्चे सहर्ष विद्यालय की ओर जाते दिखे।

एस.के.पूनम।

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