सत्कर्म का फल-ब्रह्माकुमारी मधुमिता सृष्टि

सत्कर्म का फल           एक दिन अंबर नाम का ग्वाला सुबह दूध लेकर बेचने को निकला। वह दूध बेचकर घर की ओर लौट रहा था कि… सत्कर्म का फल-ब्रह्माकुमारी मधुमिता सृष्टिRead more

धूप में देवता-संजीव प्रियदर्शी

 धूप में देवता           रघु बारह हजार रुपये पत्नी लखिया को देते हुए बोला – “रख ले ये रुपये। फ़सल के दाम हैं।” लखिया नोटों की… धूप में देवता-संजीव प्रियदर्शीRead more

दिव्यांगता ईश्वरीय रुप-कुमारी निरुपमा

दिव्यांगता ईश्वरीय रुप           दिव्यांग अर्थात दिव्य अंग जिसके पास हो। ईश्वर द्वारा प्रदत्त एक विशिष्ट सृजन। इन विशेष प्रकार के बच्चों का पालन-पोषण देख-रेख, पढ़ाई… दिव्यांगता ईश्वरीय रुप-कुमारी निरुपमाRead more

हम परिस्थितियों से अधिक शक्तिशाली हैं-ब्रह्मकुमारी मधुमिता ‘सृष्टि’

हम परिस्थितियों से अधिक शक्तिशाली हैं           जीवन यात्रा में परिस्थितियां कभी एक जैसी नहीं होती इसलिए हमें परिस्थितियों से अधिक शक्तिशाली बनना है तभी हम… हम परिस्थितियों से अधिक शक्तिशाली हैं-ब्रह्मकुमारी मधुमिता ‘सृष्टि’Read more

प्राकृति का ख्याल-भोला प्रसाद शर्मा

प्राकृति का ख्याल           कोरोना एक जंग है। आप सभी महानुभावों, मेरे भाईयों एवं मेरी दीदी जी! आपको समझाने की आवश्यकता ही नहीं है। आप मुझे… प्राकृति का ख्याल-भोला प्रसाद शर्माRead more