स्वतंत्रता दिवस-ऋषभ कुमार

आज का दिन हर भारतीय के लिए गौरव का दिन है। 15 अगस्त… स्वतंत्रता दिवस… इंडिपेंडेंस डे… चाहे जिस नाम से पुकार लो। लेकिन वो नाम पुकारते हुए अगर आपको भारत के शूरवीरों की याद न आए, तो दोबारा सोचना। क्योंकि आज हम जिस आजादी का जश्न मना रहे हैं, ये उन्हीं की बदौलत है।

लहू वतन के शहीदों का रंग लाया है
उछल रहा है जमाने में नाम-ए-आजादी
फिराक गोरखपुरी की ये पंक्तियों के जरिए हम उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करते हैं, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना देश को आजाद कराने के लिए संघर्ष किया था।

सारे जहां से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा,
हम बुलबुले हैं इसकी, ये गुलिस्तां हमारा
ये पंक्तियां हमें याद दिलाती हैं कि हमारा देश कितना महान और अनेकताओं से भरा है। हमारे देश की संस्कृति, भाषा और परंपराएं हमें एक अनोखी पहचान देती हैं। और इस पहचान के लिए हमने कितना लंबा संघर्ष किया है।

अनेकों सेनानियों ने अपने जीवन का बलिदान देकर हमें स्वतंत्रता दिलाई। उनके साहस और बलिदान को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। उनकी वीरता को नमन करते हुए हमें यह भी याद रखना चाहिए कि आजादी सिर्फ हमारा अधिकार नहीं। स्वतंत्रता का मतलब केवल विदेशी शासन से मुक्ति नहीं है। आजादी के साथ आती हैं जिम्मेदारियां। हर 15 अगस्त हमें फिर से याद दिलाता है कि हमें अपनी आत्मनिर्भरता, समानता और स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयासरत रहना होगा।

आजादी का जश्न मनाते हुए हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि अभी भी देश की प्रगति के लिए कितना कुछ किया जाना बाकी है। यह सुनिश्चित करना बाकी है कि भारत का हर नागरिक स्वतंत्रता दिवस पर खुद को आजाद, सशक्त और सुरक्षित महसूस कर रहा हो। कोई भूखा न हो। हर व्यक्ति शिक्षित हो। सबके सिर पर छत हो। हर शरीर स्वस्थ हो।

आइए.. हम एक राष्ट्र के रूप में हमारे सामने आने वाली चुनौतियों को भी स्वीकार करें। असमानता और अन्याय से लेकर भ्रष्टाचार और विभाजन तक, एकजुट होकर हर वो लड़ाई लड़ें जो हमारी आजादी के लिए खतरा हैं। वो आजादी, जिसके लिए आज भी लाखों जवान अपनी जान की बाजी लगाकर सरहद पर तैनात हैं।
इसी जगह इसी दिन तो हुआ था ये एलान
अंधेरे हार गए ज़िंदाबाद हिन्दोस्तान
धन्यवाद। जय हिन्द

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