पन्द्रह अगस्त १९४७ को हमारा देश अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हुआ, जिसके लिये हमारे देश के वीरों ने अपने प्राणों की कुर्बानी तक दे दी।अनगिनत लोगों ने अपने प्राण की बाजी तक लगा दी,इसी की याद में १५ अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।वो यादगार पल, जबकि ब्रिटिश हुकूमत स्वतंत्रता संग्राम के लिये क्रांति करने वाले वीरों पर अपनी दमनकारी हथकंडा अपनाती रही,पकड़-पकड़कर जेलों में ठूंस दिया जाता रहा,लेकिन देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराने वाले कब दम धरने वाले थे और अंत में दिल्ली के लाल किले के प्राचीर पर अपना तिरंगा झंडा लहरा दिया।
हमारा भारत वर्ष एक कृषि प्रधान देश है,जहाँ के अधिकतर लोग कृषि पर निर्भर करते हैं।
प्रत्येक स्वतंत्र देश का अपना एक ध्वज होता है,जो कि एक स्वतंत्र देश.होने का संकेत देता है।भारत वर्ष में तिरंगा का अर्थ “भारतीय राष्ट्रीय ध्वज”है।
भारत का राष्ट्रीय ध्वज” तिरंगा” जिसमें तीन रंग की पट्टी होती है।सबसे उपरी पट्टी केसरिया रंग है,जो देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है।बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का प्रतीक है।निचली हरी पट्टी जो कि उर्वरता,वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है।
मेरा यह आलेख”देश की शान है- तिरंगा”का अर्थ है कि जब हम कहीं भी,किसी भी संस्थान में तिरंगा को लहराते हुये देखते हैं,तो हमारे मन- मस्तिष्क में एक उर्जा का संचरण होने लगता है,अपने आप में गर्व महसूस होने लगती है।साथ ही हम महसूस करने लगते हैं कि इस तिरंगे की शान को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिये किसी भी कुर्बानी को देने के लिये तैयार हैं।
आज के समय में जब संपूर्ण विश्व तरह-तरह की समस्याओं जैसे महंगाई,बेरोजगारी तथा अन्य समस्याओं से जूझ रही है,नैतिकता,
अनुशासन का लगातार पतन हो रहा है।ऐसी स्थिति में यह आवश्यक है कि विद्यालय में छात्र-छात्राओं में नैतिकता,उच्च विचार,अनुशासन,देश
-प्रेम का पाठ सीखाने का प्रयास करना चाहिए।
अंत में हम कह सकते हैं कि हमारे देश की शान है,”तिरंगा”जिस पर भारत वर्ष के सभी नागरिकों को गर्व होना चाहिए।स्वतंत्रता
आलेख साभार-श्री विमल कुमार “विनोद”
भलसुंधिया,गोड्डा(झारखण्ड)