आशा ही जीवन है : सुरेश कुमार गौरव

जीवन एक प्रवाह है—कभी शांत, कभी उग्र; कभी सरल, तो कभी दुर्गम। इस प्रवाह के मध्य यदि कोई तत्व हमें डूबने से बचाए रखता है, तो वह है—”आशा”। यही वह दीपशिखा है, जो अंधकार के बीच टिमटिमाते हुए भी हमें यह भरोसा देती है कि उजाला संभव है।

आशा कोई साधारण शब्द नहीं, यह एक आंतरिक शक्ति, एक मानसिक संबल और एक जीवनदृष्टि है। जब संसार निराशाओं के कोहरे से ढँक जाता है, जब प्रयासों की नाव बार-बार डगमगाती है, तब आशा ही वह पतवार है जो हमें डूबने से बचाती है। यह कहावत यूँ ही नहीं बनी—”आशा ही जीवन है”, बल्कि यह मानव अनुभवों की सबसे सच्ची अभिव्यक्ति है।

१.जीवन में आशा का महत्व

बचपन से ही हम सपनों के बीज बोते हैं। कोई डॉक्टर बनने का सपना देखता है, कोई शिक्षक, कोई कलाकार। लेकिन जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ कई बार इन सपनों को झकझोर देती हैं। फिर भी जो व्यक्ति आशावान रहता है, वही मंज़िल तक पहुँचता है।
अभ्यास और परिश्रम तब तक फल नहीं देते जब तक उन्हें आशा का जल न मिले।

निराशा एक रोग की तरह है—धीरे-धीरे आत्मबल को खा जाती है। इसके विपरीत आशा वह औषधि है जो हर हारे हुए को जीत की ओर ले जाती है।

२.आशा और संघर्ष – एक गहरा संबंध

पहाड़ों को काटकर रास्ता बनाना हो या अंधकार में दीप जलाना,
सभी संघर्षों की नींव में आशा ही बसती है।

महात्मा गांधी जब ‘नमक सत्याग्रह’ पर चले, उनके पास कोई हथियार नहीं था, पर आशा का बल था कि सत्य की विजय होगी। अब्राहम लिंकन ने कई चुनाव हारे, पर आशा नहीं छोड़ी और अंततः अमेरिका के राष्ट्रपति बने।
इन महान व्यक्तित्वों ने सिखाया कि आशा का होना ही मानवता का होना है।

३.आशा – आत्मबल की जननी

जब कोई रोगी चिकित्सा के दौरान भी जीवित रहने की आशा नहीं छोड़ता, तब कई बार चमत्कार हो जाते हैं। चिकित्सा विज्ञान तक इसे स्वीकारता है कि आशावादी रोगी अधिक शीघ्र स्वस्थ होते हैं।
क्यों? क्योंकि आशा मन को शक्ति देती है, और जब मन जीतने लगे, तो शरीर और परिस्थिति भी झुक जाती है।

४.शिक्षा, समाज और आशा

एक शिक्षक का पहला कर्तव्य होता है—बच्चे के भीतर आशा का संचार करना।
एक समाज तभी आगे बढ़ता है, जब उसके नागरिक भविष्य के प्रति आशावान हों। आशा व्यक्ति को न केवल स्वयं के लिए, बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा बनने की राह पर ले जाती है।

५.निष्कर्ष – आशा ही जीवन का स्पंदन है

आशा वह संजीवनी है जो टूटे हुए सपनों को भी पुनर्जीवित कर सकती है। यह केवल एक भावना नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है।
जो आशा से भरकर जीता है, वह कभी हारता नहीं।
जो आशा से विमुख हो जाता है, वह चलती साँसों के बीच भी मृतप्राय हो जाता है।

आइए, जीवन की प्रत्येक सुबह को इस विश्वास के साथ शुरू करें—
“कल अच्छा होगा, क्योंकि मैं आज प्रयासरत हूँ।”

और तब आप देखेंगे कि आशा केवल जीवन नहीं, बल्कि विजय का सूत्र बन चुकी होगी।

यह प्रेरणात्मक आलेख समर्पित है जीवन में आशा की दीपशिखा जलाने वाले प्रत्येक जिज्ञासु हृदय को।

-सुरेश कुमार गौरव, प्रधानाध्यापक

उ.म.वि.रसलपुर, फतुहा, पटना (बिहार)

0 Likes
Spread the love

Leave a Reply