उसकी नींद खुली तो बिस्तर पर खून के धब्बे थे। पेट में मरोड़ उठ रही थी। बड़ी मुश्किल से कराते हुए वह खड़ा हो पाया। तभी उसकी छोटी बहन तानिया… लाल सपना – चांदनी समरRead more
Month: May 2023
दूसरा भगवान – संजीव प्रियदर्शी
परामर्श शुल्क के अभाव में दो बार क्लीनिक से लौटाये जाने के बाद वह तीसरी दफे रुपये जुटाकर अपने दस वर्षीय लड़के को दिखाने आई थी।कई लोगों ने बताया था… दूसरा भगवान – संजीव प्रियदर्शीRead more
वचनसीमा – संजीव प्रियदर्शी
एक लघुकथा कपड़े के दो डिब्बे पति मनोहर को देती हुई बोली-‘ एक में तुम्हारी पसंद के शर्ट-पैंट हैं और दूसरे में रामू के कपड़े।’ मनोहर डिब्बों को खोलने के… वचनसीमा – संजीव प्रियदर्शीRead more
जनता – संजीव प्रियदर्शी
एक बार किसी राजा के कुछ सभासदों ने उनसे पूछ लिया- ‘सच्चा देवदूत, जनता क्या होती है? आजतक हमलोग इसके वास्तविक वजूद को देख-समझ नहीं पाये हैं। कृपया हमें संतुष्ट… जनता – संजीव प्रियदर्शीRead more
पगला है- संजीव प्रियदर्शी
लघुकथा सनोज दास जिस दिन नौकरी में आये,उस दिन उनके हिस्से की ऊपरी कमाई ढ़ाई सौ रुपये बनती थी।साथी अहलकार ईमानदार थे,सो बड़ा बाबू रुपये बढ़ाते हुए बोले-‘ देखिए सनोज… पगला है- संजीव प्रियदर्शीRead more