मैं नालायक नहीं- श्री विमल कुमार”विनोद

जीवन की वास्तविकता पर आधारितश्री विमल कुमार”विनोद”लिखित लघुकथा।सोहन नामक एक छोटा सा बालक जो कि परिवार का एकलौता,दुलारा पोता है।परिवार में पोता के आगमन होने के कारण घर के सभी… मैं नालायक नहीं- श्री विमल कुमार”विनोदRead more

नालायक बेटा”एक लघुकथा- श्री विमल कुमार

पृष्ठभूमि-सरोज नाम का एक लड़का है,जिसके पिता जी व्यवसाय करते हैं,माता जी गृहिणी हैं।पिता सुबह उठकर अपने दुकान पर चले जाते हैं, सरोज पढ़ने के नाम पर घर से निकलता… नालायक बेटा”एक लघुकथा- श्री विमल कुमारRead more

“कोई तो है”- श्री विमल कुमार”विनोद”

रमेश नामक एक छोटा सा बालक बचपन में अपने दरवाजे पर प्रतिदिन सड़क के किनारे खेलता था।एक दिन इसी क्रम में खेलते समय अचानक दो बैल आपस में लड़ते हुये… “कोई तो है”- श्री विमल कुमार”विनोद”Read more

जिम्मेवारी- संजीव प्रियदर्शी

शादी के तुरंत बाद बिटिया की बिदाई हो रही थी और वह माँ के गले लिपट कर जार-जार रोती जाती थी। ऐसी हालत पिछले कई दिनों से थी उसकी।जब से… जिम्मेवारी- संजीव प्रियदर्शीRead more

पछूवा कंपकपावे भूखवा दौड़ावे- श्री विमल कुमार”विनोद”

गाँव-गंवई भाषा में लिखल लघुकथा।कैलू नामक एक साधारण व्यक्ति जो कि दैनिक मजदूरी करके अपना तथा अपने परिवार का भरण-पोषण करता है।इसकी शादी मुनकी नामक एक लड़की से हो जाती… पछूवा कंपकपावे भूखवा दौड़ावे- श्री विमल कुमार”विनोद”Read more

माँ का साया- श्री विमल कुमार “विनोद”

रबिया नामक एक साधारण परिवार की औरत जो कि बड़े अरमान के साथ अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को जन्म देने के लिये उत्साह से ओत-प्रोत होकर उसके सकुशल… माँ का साया- श्री विमल कुमार “विनोद”Read more

असली कमाई-संजीव प्रियदर्शी

चिलचिलाती धूप में ठेले पर ईख का रस बेचने वाले एक दिहाड़ी से मैंने पूछ लिया- ‘ दोपहर की इस भयानक गर्मी में पसीना बहाकर कितनी कमाई कर लेते हो?’‘कमाई… असली कमाई-संजीव प्रियदर्शीRead more

आदर्श-अमरनाथ त्रिवेदी

कहते हैं समय की मार एक न एक दिन सब पर अवश्य पड़ती है; चाहे कोई कितना भी बलशाली और विद्वान क्यों न हो, परन्तु अज्ञानी मनुष्य समय को रो-धोकर… आदर्श-अमरनाथ त्रिवेदीRead more

पागल कौन?” -श्री विमल कुमार”विनोद”

श्री विमल कुमार”विनोद”लिखितनरेश नामक एक छोटा सा बालक जो कि बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि का था जिसका जन्म एक साधारण से परिवार में हुआ था।बचपन से ही लोग कहा… पागल कौन?” -श्री विमल कुमार”विनोद”Read more

“चलो विद्यालय चलें”-श्री विमल कुमार

ओपनिंग दृश्य गाँव का दृश्य-बहुत सारे बच्चे-बच्चियाँ खेल रहे हैं।कुछ बच्चे गाय-बकरी चराने जा रहे हैं।इसी समय कुछ बच्चे जिनके कपड़े फटे-पुराने हैं जो कि उसी रास्ते से होकर विद्यालय… “चलो विद्यालय चलें”-श्री विमल कुमारRead more