गणवेश- मनोज कुमार

गणवेश;

यह वह आवरण है जो हमारी कई पृष्टभूमि को ओझल कर देती है। यह हमारी ज्ञान रूपी गाड़ी को पटरी पर सीधे दौड़ने के लिए आधार प्रदान करती है। जब विद्यालय की दहलीज पर सरकारी स्कूल के बच्चे गणवेश में प्रवेश करते हैं ; उस वक्त जिस फिज़ा का दीदार होता है ; वह मानों समाज में संपूर्णता में एकरूपता का एहसास होता है। पर क्या यह हकीकत का इजहार होता है? सत्य तो यह है, इस हुलिया में उनके अंत:हालात के ज्ञान का हमारा हर अंकगणित फेल हो जाता है जब उनके अभिभावकों से मुलाकात होता है। उनके आवास पे जाने पर जब उनकी दुनिया से अपना-ए-दिल दो चार होता हैं । पोशाक, यह बच्चों के संसार का प्रारंभिक आश है। हम बचपन की उन यादों को कैसे भूला सकते हैं जब पर्व त्योहार के समयावधि में ए दिल नये वस्त्र के इंतजार में हर पल तड़प के साथ गुजरती थी और आते ही मानों संसार की सारी खुशियां हमारी झोली में समा जाती थी। चंचलता हमारी देखने लायक होती थी। कुछ ऐसी जैसे भौरों का गुंजन, तितली का पुष्प मर्दन, चिड़ियों का गगन भ्रमण। बचपन के इस भाव का प्रभाव हमारे जीवन में हर पल रहता है पर उम्र और संसारिकता के भंवरजाल में हम ऐसे उलझते चले जाते हैं कि दीप्त भाव कब सुप्त हो जाता है, पता ही नहीं चलता। पोशाक, इसका संदेश बड़ी दूर तलक जाता है। शिक्षकों के नजरिए को समरूप रखने में यह अहम् योगदान रखता है। बच्चे के भाव में हीनता के प्रवेश का यह अवरोधक बन जाता है, वहीं बच्चों के निश्चल हंसी पे बड़ों के विश्लेषणात्मक चिंतन में आने वाले अंतर के आडंबर का यह एक आवरण का रूप ले लेता है और यूं बच्चों के चंचल चितवन में निधड़क प्रवेश का यह एक सरल मार्ग बन जाता है। पोशाक,इसमें परिवारिक, सामाजिक पृष्टभूमि के भंवरलाल से मुक्ति की शक्ति है। अभिभावक पर अतिरिक्त भार के दवाब को कम करने की युक्ति है। विद्या के मंदिर में हर बाल एक गोपाल है इस संदेश की यह पुष्टि है। मध्याह्न में अन्न के ध्यान में लंगर का मंगल गान करने की यह एक सूक्ति है।पोशाक, यह छीजन रोकने का आधार है। बाल मजदूरी पर करता यह विराम का काम है। विद्यालय समयावधि में बच्चों के दुराव पर लगाता लगाम है। बच्चों के मनोवृत्ति को विद्यालय की प्रकृति में ढालने का सन्मार्ग है। पोशाक, इसकी आवश्यकता व महत्ता की सत्ता को स्वीकारोक्ति देने के प्रबल मनोवृत्ति की जरूरत है। शिक्षक हो या अभिभावक हर एक के संज्ञान में इस ज्ञान का भान महत्वपूर्ण है।

मनोज कुमार

सहायक शिक्षक रा.आ.चौ.उ.म.वि.धानेगोरौल

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