कवि कौन
जो अपनी लेखनी की ताकत से समाज का दशा व दिशा बदल दे, कवि वो है। कहते हैं कि कलम की धार तलवार से भी ज्यादा तेज होती है। साहित्य में इतनी शक्ति होती है कि वह चाहे तो पाठक के मन में अमन चैन की पुष्प खिला दे, चाहे तो महाभारत करा दे। किसी भी राष्ट्र के निर्माण में साहित्य का महत्वपूर्ण स्थान होता है। एक कवि की कविता में इतनी ताकत होती है कि पढ़ने वालों के व्यक्तित्व निर्माण में सहायक होती है। जिस प्रकार के साहित्य को हम पढ़ते हैं, धीरे-धीरे हमारी सोच वैसी ही होती जाती है।देखा जाता है कि जब कोई व्यक्ति काफी उदास या अपने जिंदगी से निराश हो जाता है तो उसे जीवन की मुख्य धारा में फिर से जोड़ने में सकारात्मक साहित्य संजीवनी बूटी का कार्य करती है। कहने का तात्पर्य है कि अच्छी सकारात्मक साहित्य मृतप्राय को जीना सीखा देती है।
यह तो है सौभाग्य हमारा
ईश्वर ने खास हमें बनाया है
अपनी असीम कृपा देकर
कर के मध्य लेखनी थमाया है।
किसी ने सच ही कहा है कि मानव होना भाग्य की बात है पर कवि होना तो सौभाग्य की बात है। जब हमें ईश्वर की कृपा से यह सौभाग्य प्राप्त है तो हमारा यह परम् कर्तव्य बनता है कि हम अपनी लेखनी के माध्यम से सृष्टि को सुंदर एवं खुशहाल बनाने में अपना योगदान देकर अपने मानव जीवन को सार्थक करें।
साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है और साहित्य में किसी समाज के तकदीर को बदलने की शक्ति होती है। जब साहित्य में इतनी शक्ति है तो हम साहित्यकारों का यह दायित्व बनता है कि कुछ भी लिखने से पहले हमें यह सोचना होगा कि हम क्या लिखें, क्यों लिखें, हमारे लिखने का उद्देश्य क्या है?
क्योंकि हम रचनाकार हैं समाज को रचने की शक्ति हममें व्याप्त है। अतः हमें वैसा कुछ भी लिखने से बचना होगा जिससे समाज में नकारात्मक संदेश पहुँचे।
सब का हित जिसमें हो समाहित,
वैसे साहित्य का सृजन हमें करना है।
राग-द्वेष, भेदभाव मिटाकर,
सुंदर समाज हमें रचना है।
यह सच है कि जिस बात का हम प्रचार करते हैं उसी का प्रसार होता है। इसलिए कभी हमें अपनी रचनाओं में वैसी बातों का उल्लेख नहीं करना चाहिए जिसे पढ़कर पाठकगण के मन में निराशा घर कर जाए। हमें हमेशा सकारात्मक ऊर्जाओं से परिपूर्ण रचनाओं का सृजन करना चाहिए।
कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’
शिक्षिका
मध्य विद्यालय बाँक, जमालपुर
योगनगरी मुंगेर, बिहार
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