नाम और यश : गिरीन्द्र मोहन झा

महापुरुष अज्ञात, निर्वाक और शांत होते हैं।
महापुरुष नाम-यश के गुलाम नहीं होते हैं। वे शब्दों(निन्दा-स्तुति) के भी गुलाम नहीं होते हैं। वे दृढ़नियमी, कर्तव्यपरायण और ईमानदार होते हैं। वे कर्तापन के अभिमान से रहित होकर स्वयं को निमित्तमात्र मानकर छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा कार्य निष्ठा, तल्लीनता, अनुभव, योग्यता और कौशल के साथ करते हैं और स्वत: यश को प्राप्त करते हैं।- यशो लभस्व

महर्षि वेदव्यास के शब्दों में, “महापुरुष विश्व को नहीं खोजते, बल्कि विश्व महापुरुष को खोजता है।”

महापुरुषगण जीवन के सुदीर्घ पथ को देख अपनी जीवन-यात्रा पर फोकस करते हैं। वे अपने जीवन को सहज, पवित्र, अर्थपूर्ण और परोपकारमय(प्रत्युपकार की आशा किये बिना परोपकार) बनाते हैं।

इस सृष्टि/ब्रह्मांड का निर्माण किसने किया है? इसे संचालित कौन कर रहा है? प्राचीनतम या प्रथम ग्रंथ वेद, जो कि अब भी रास्ता दिखाने का काम करते हैं, उनके रचनाकार का नाम क्या है? सभी अपने-अपने ढंग से इसका उत्तर खोजते हैं और कुछ हद तक उत्तर पाते हैं। संत कबीरदास ने लिखा है, जिन्ह खोजा तिन पाइयां गहरे पानी पैठ । मैं वपुरा बूड़न डरा, रहा किनारे बैठ ।। हमारे अन्वेषण, अनुसंधान, आविष्कार, नवाचार का आदर्श सत्यं(सत्य), शिवं(कल्याणकारी), सुन्दरम्(सुन्दर) होना चाहिए।

इस अलौकिक प्रश्न के उत्तर को खोजने में ‘श्रद्धा’ हमारी सहायता करती है। भारतीय सद्ग्रंथों वेद, उपनिषद, गीता में इस प्रश्न के उत्तर हमें देखने को मिल जाते हैं।

इसी प्रश्न के उत्तर में हमें चार्ल्स डार्विन के विकासवाद का सिद्धांत प्राप्त हुआ है, जिसकी झलक हमें भगवान विष्णु के दशावतार स्तुति के क्रम को देखने पर मिलती है।

इसी ईश्वर के लिए वैज्ञानिकों ने हिग्स बोसोन नामक गाड पार्टिकल की खोज की ।

वेदांत के प्रस्थानत्रयी(उपनिषद, ब्रह्मसूत्र और श्रीमद्भगवद्गीता) में हमें बहुत कुछ प्राप्त हो जाता है। Schrodinger ने वेदांत और विज्ञान से संबंधित एक पुस्तक ‘What is life’ भी लिखा है।

बिहार के कविवर केदारनाथ सिंह ने अपनी कविता ‘नाम’ में लिखा है, “नाम कमाने की धुन में
जब यहाँ तक आया
तो अचानक पाया
कि हर नाम एक घोंसला है
जिसमें कोई चिड़िया अंडा नहीं देती ।”

नाम और यश के पीछे नहीं, काम के पीछे भागना चाहिए। कहते भी हैं, “काम ऐसा करो कि नाम हो जाय । नाम ऐसा हो कि नाम से ही काम हो जाए ।”

-गिरीन्द्र मोहन झा

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