पिता की सीख : कुमारी निधि

रोहन तब बारहवीं में पढ़ रहा था। वह पढ़ने में बहुत होशियार था। रोहन के पिता ने उसे कोई कमी नहीं दी। रोहन के मुँह खोलने से पहले उसके सामने हर चीज हाजिर हो जाती थी। यही कारण था कि रोहन किसी चीज की कद्र नहीं करता। रोहन बहुत दिखावा करता और फिजूलखर्ची भी करता। उसे लगता था कि सबकुछ बहुत आसान है। लेकिन दूसरी तरफ उसके पिता बहुत मेहनती थें। उसके पिता उसे बहुत समझाते थें पर वह कुछ समझना ही नहीं चाहता।
आज रोहन का अठारहवां जन्मदिन है।
पिता – “रोहन मैं तुम्हारे लिए एक विशेष तोहफा ले कर आया हूँ।”
एक लिफाफा रोहन को थमाते हुए कहतें हैं बेटा जीवन में कठिन से कठिन परिस्थिति भी आ जाए तो मुस्कुराना मत छोड़ना और ईश्वर पर भरोसा कर के खूब मेहनत करना। मेहनत का फल ईश्वर हमेशा देतें हैं। तेरी उम्र में मेरे पास पहनने को अच्छे कपड़े तक नहीं थें। मैंने बहुत मेहनत की है यहाँ तक आने के लिए। आज अपनी विरासत तुम्हे सौंप रहा हूँ। इस लिफाफे में तुम्हारी जोइनिंग लेटर है अब हमारे कम्पनी में तुम एक एम्प्लॉय के रूप में काम शुरू करोगे। रोहन यह सुन कर तिलमिला गया।
रोहन :- “पापा आप अपनी कम्पनी में जो आपके बाद मेरी ही होगी उसमे एक छोटे से एम्प्लॉय के रूप में मुझे रख रहें हैं। ऐसा क्यों?”
रोहन के पिता : – “बेटा अभी तुम्हे कुछ दिनों तक बिज़नस को समझना है फिर खूब मेहनत करना और फिर ये कम्पनी तो तुम्हारी है ही जब मुझे लगेगा तुम इस लायक हो गए हो उस दिन मैं अपनी कुर्सी तुम्हे दे कर रिटायरमेंट ले लूंगा।”
रोहन अपने पिता से बहुत प्यार करता था इसलिए मना नहीं कर पाया। धीरे-धीरे वह कामों को समझने लगा। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। एक दिन अचानक एक कॉल आया रोहन के पिता हॉस्पिटल में हैं उनका एक्सीडेंट हो गया है। पिता के इलाज में जमी जमाई सारी संपत्ति निकल गई और पिता भी ना रहें।
रोहन की मानो दुनिया उजड़ गई। कम्पनी बेचने की नौबत आ गई। लेकिन रोहन को जन्मदिन पर पिता के द्वारा कही गई बातों का स्मरण होने लगा। बेटा चाहे जो भी परिस्थिति आए मुस्कुराना मत छोड़ना और खूब मेहनत करना। ये शब्द उसके कानों में गूंज रहे थे और मानो एक ऊर्जा का संचरण हो रहा था उसमें।
उसने खूब मेहनत की और कुछ दिनों में कम्पनी ने फिर अपना पुराना मकाम हासिल कर लिया। इतना ही नहीं कुछ दिनों तक एम्प्लॉय के रूप में काम करने के कारण उसे उनकी तकलीफों का अंदाज़ा था उसने उन्हें खूब सुविधाएं दी। नतीजा यह हुआ कि एम्प्लॉय भी खूब मेहनत करने लगे। और अब कई देशों में रोहन का कारोबार फैल गया। पिता की दी हुई सीख ने रोहन को फर्श से अर्श पर पहुँचा दिया।

-कुमारी निधि

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