बिन परिंदे आसमान सुना

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बिन परिंदे सुना आसमान

अरे हमारी बिटिया रानी कहाँ हो? चलो जल्दी से तैयार हो जाओ हमें बाजार जाना है।अरे परी कहीं दिख नहीं रही है, कहाँ गई है वो?यह देखो ये तो यहाँ है।क्या बात है परी तुम यहाँ गुमसुम सी क्यों खड़ी हो?चलो जल्दी करो हमें बाजार जाना है।कल हमारी बिटिया रानी का जन्मदिन है और मुझे तुम्हारे लिए सुंदर सा ड्रेस लेना है और फिर कल के पार्टी की भी तो तैयारी करनी है।इसलिए जल्दी करो परी।बाबा रुको न…
क्या हुआ परी?बाबा देखो न यह सामने वाला बगीचा को क्या हो गया है?सारे के सारे पेड़ काट दिए गए हैं!क्यों बाबा?इन पेड़ों पर कितने सारे परिंदे रहते थे और इन परिदों की चहचहाहट से घर-आँगन कितना सुहाना लगता था।उन्हें देखकर हमारा मन कितना आनंदित हो जाता था।आज ये सारे परिंदों को क्या हो गया बाबा?देखो तो बाबा इस तोते को इसके सारे साथी इनसे बिछुड़ गए हैं।ये क्या हो गया बाबा पलभर में ये हरा-भरा बगीचा कैसा उजड़ गया और साथ में उजड़ गया इन परिंदों का आशियाना…
अरे बेटी इतना मत सोचो।ये जिनका बगीचा है उन्होंने इन पेड़ों को कटवा दिया है और अब यहाँ बड़ा सा मॉल बनेगा।लेकिन बाबा इन परिंदों के बिना ये आसमान कैसा सुना हो गया है ।बाबा प्लीज् कुछ करो इन परिदों का घर मत उजड़ने दो बाबा प्लीज्…..

कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’
मध्य विद्यालय बाँक,जमालपुर

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