सहपाठी का हृदय परिवर्तन (संस्मरण)
सुरेश कुमार गौरव

बात उस समय की है जब मैं दस वर्ष का था। और 1978 का साल था। तब मैं पंचम वर्ग में पढ़ता था। जहां तक मुझे याद है मेरे वर्ग… सहपाठी का हृदय परिवर्तन (संस्मरण)
सुरेश कुमार गौरव
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इनकलाब- संजीव प्रियदर्शी

ब्रिटिश हुकूमत का काल था।उस समय भारतीय समाज अनेक कुप्रथाओं से दूषित पड़ा था, जिसमें नरबलि का प्रचालन भी जोरों पर था।लोग अपने-अपने इष्टदेवों को प्रसन्न करने अथवा मन्नतें पूरी… इनकलाब- संजीव प्रियदर्शीRead more

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वृक्ष लगाओ,रोजगार पाओ- श्री विमल कुमार “विनोद”

रामू,श्याम,मोहन,रघू,शशि,सोहन नामक बेरोजगार दोस्त जीवन में बेरोजगारी की मार से जूझते हुये तबाही के चरम शिखर पर पहुँच गये हैं।अब ये दोस्त मिलकर कोई अच्छा सा धंधा करना चाहते हैं।इन… वृक्ष लगाओ,रोजगार पाओ- श्री विमल कुमार “विनोद”Read more

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“उपहार में वृक्ष”- श्री विमल कुमार “विनोद”

मोहन एक विवाह समारोह में गया है।विवाह के समय जब वरमाला का कार्यक्रम चल रहा है वहाँ पर कई बड़े-बड़े पोस्टर लगे हुये हैं,जिसमें बड़े-बड़ेअक्षरों में लिखा हुआ है”उपहार में… “उपहार में वृक्ष”- श्री विमल कुमार “विनोद”Read more

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वृक्ष धन अर्जन का एक साधन- श्री विमल कुमार”विनोद”

(राष्ट्रीय बालिका दिवस पर श्री विमल कुमार”विनोद” की प्रस्तुति।)23 वर्षीय मोहन एक सीधा- साधा खूबसूरत लड़का जो कि कर्मठ लेकिन गरीब परिवार में जन्म लिया था।जबकि शोभा नामक एक साँवली… वृक्ष धन अर्जन का एक साधन- श्री विमल कुमार”विनोद”Read more

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कालचक्र- श्री विमल कुमार विनोद

।मोहन बाबू जो कि एक दफ्तर में काम करते थे।कामकाज करते-करते इनको यह महसूस होने लगता है कि अब जीवन के ग्राहस्थ आश्रम मेें प्रवेश किया जाय।इनके माता-पिता जी को… कालचक्र- श्री विमल कुमार विनोदRead more

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प्रकृति – रणजीत कुशवाहा

हम सभी मानते है कि प्रकृति हमेशा न्याय करती है और यह मानना भी चाहिए।जो घटनाएं घटित होती है प्रकृति उसको पहले लिख चुकी होती है। अगर प्रकृति न्याय करतीं… प्रकृति – रणजीत कुशवाहाRead more

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मूल्यों के विकास में परिवार की भूमिका- विमल कुमार विनोद

मूल्य शब्द का शाब्दिक अर्थ है-उपयोगिता या वांछनीयता।सामान्यतः किसी समाज में उन आदर्शों को महत्व दिया जाता है,जिनसे उस समाज के व्यक्तियों का व्यवहार निर्देशित तथा नियंत्रित होता है, जिसे… मूल्यों के विकास में परिवार की भूमिका- विमल कुमार विनोदRead more

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सदव्यवहार- विमल कुमार विनोद

किसी भी व्यक्ति के जीवन में उसका व्यवहार बहुत कीमती चीज माना जाता है।व्यवहार किसी भी व्यक्ति के जीवन का एक बेशकीमती गहना माना जाता है,जिसके बिना लोगों का जीवन… सदव्यवहार- विमल कुमार विनोदRead more

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जलती चितायें- श्री विमल कुमार”विनोद”

श्री विमल कुमार”विनोद”लिखित लघुकथा।मोहन बाबू जो कि एक दफ्तर में काम करते हैं।इनके परिवार में कुल मिलाकर लगभग दस सदस्य हैं, जिनमें से इकलौता कमाने वाले मोहन बाबू ही हैं।दिनभर… जलती चितायें- श्री विमल कुमार”विनोद”Read more

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