- जल जीवन हरियाली
आज छुट्टी का दिन था , सुरेश सुबह के नाश्ते के बाद बालकनी में चाय की चुस्की ले रहा था । तभी मां का फोन आया। मां ने बताया कि मुन्ना ( रोहित ) कोलकाता से आया है पास ही बैठा है और बोल रहा है कि तुमसे मिले कई वर्ष हो गए ।
हां मां। वैसे बात तो हो जाती है लेकिन भेंट नहीं हो पाती बात करा दो ना..
हेलो!
हां बोल कैसा है ?
वैसे तो ठीक हूं लेकिन गांव में अपने स्कूल के पास वाले तालाब के पास गया था।
तो ?
तो क्या वो सब कुछ नजर के सामने घूमने लगा ..
हमलोग का बचपन खेल पानी पेड़ फल आम । प्रकृति के संग हमारा सहचरी.. और अब गायब।
तालाब आधे से अधिक भर चुका है।पक्के के मकान बन चुके है शेष तालाब गंदा हो चुका है।पानी गायब कीचड़ भरपूर ।आम के पेड़ की जगह अब दो चार ठूंठ..
मैं भी जब पिछली बार गया था तो कुछ ऐसा ही था। ..लेकिन इतनी बुरी स्थिति नहीं थी।
आज बिहार में सरकार जल जीवन हरियाली का अभियान चला रही है और समाज ..!
सही बात है ।वैसे समाज तो हम से ही बनता है । हम जब बच्चे थे तो वह तालाब हमारा और गांव के लिए अमृत सदृष्य था संभवतः हमारी पीढ़ी ने इसका महत्व भी समझा
हां ठीक बोल रहे हो।
क्यों न हम लोग अपने सहपाठियों से मिलकर पहल करें।
ठीक विचार है ।
हम अभी की पीढ़ी और समाज से भी इस संबंध में बात कर सकते हैं और विद्यालय के बच्चे को भी जागरूक कर सकते है।
बिल्कुल।
अच्छा विचार है , हमें सबको जल प्रकृति और हरियाली का महत्व बतलाना होगा और यह भी बतलाना होगा कि संभवतः आने वाले समय में स्वच्छ जल के लिए मानव जाति को संघर्ष करना पड़ सकता है ।
ठीक है एक समूह बनाता हूं और हम सब इस समूह में विचार करते है .. आखिर गांव है अपना और बचपन की यादें।
चलो फिर बात होती है और हम सब मिलते हैं ।
- डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्या
उत्क्रमित कन्या मध्य विद्यालय शरीफगंज, कटिहार