संत रविदास -पूर्व जन्म -नीतू रानी

Nitu

अंत मति सो गति , मरने के समय आप का मन जिधर जाएगा ।फल आपको उसी के अनुसार मिलेगा।मरने के समय आपका मन अगर बेटा-बेटी पर गया तब आपको सुअर में जन्म लेना पड़ेगा , लीजिए कितना बच्चा लेते हैं। मरने के समय आपका मन अगर पति-पत्नी पर गया तब आपका जन्म कुत्ता – कुतिया में होगा ।मरने के समय आपका मन अगर संपत्ति पर गया तब आपको सर्प में जन्म लेना पड़ेगा। घर के अंदर बिल में बैठकर संपत्ति की रखवाली करते रहिए।मरने के समय आपका मन अगर मांँस खाने पर गया तब आपका जन्म गिद्ध में होगा ,खाते रहिए जीवन भर मांँस। मरने के समय आपका मन अगर घर पर गया यानि मकान का घर नही बना तब आपका जन्म चूहा में होगा ।घर के अंदर बिल से निकल कर बाहर भीतर करते रहिए।अब विशेष इस पर नहीं लिखूंँगी क्योंकि कहानी अभी शुरू भी नहीं हुई है, आइए अब बढ़ते हैं आगे।

संत रविदास जी महाराज इस जन्म से पूर्व एक ब्राह्मण पंडित थे। वे रोज सत्संग में जाया करते थे जिस रास्ते से जाते थे उसी रास्ते में एक वेश्या का घर था ।जब पंडित जी सत्संग में जाते तब वेश्या उसे अपने दरवाजे से देखती रहती थी ।इसी तरह पंडित जी रोज सत्संग में जाते और वेश्या उन्हें देखती । अब पंडित जी को रोज सत्संग में जाते देखकर वेश्या के अंदर सत्संग से लगाव हो गया ।

एक रोज जब पंडित जी सत्संग में जा रहे थे तब वेश्या ने पंडित जी से बोली , पंडित जी मैं भी आपके साथ सत्संग में जाऊंँगी, पंडित जी बोले नहीं नहीं तुम मेरे साथ सत्संग में नहीं जा सकती कहां हम पंडित और कहांँ तूँ वेश्या ,लोग मुझ पर अंँगुली उठाएंँगे ।
वेश्या बोली नहीं पंडित जी जाएंँगे तो हम आपहीं के साथ मैं अब गलत काम नहीं करती हूंँ और ना करूंँगी । वेश्या के घर से थोड़ा ही हटकर सत्संग मंदिर था इसलिए सत्संग के सभी बातों को वह सुनती थी और उसका मन सत्संग से जुड़ गया ।

अब उसने सत्संग में जाने की जिद पकड़ ली , पंडित जी को कुछ नहीं सूझ रहा था क्या करें नहीं करें ,वे उसकी जिद को टाल ना सके और बोले तो ठीक है चलो ,अब वे दोनों रोज सत्संग में जाने लगे ।जब वे दोनों सत्संग में जाते तब वेश्या बोलती पंडित जी ,अंत मति सो गति,उस पर पंडित जी कहते तुम हमको सिखाती है हम तो अपने पंडित हैं सब कुछ जानते हीं हैं ।ऐसे हीं जब दोनों सत्संग में जाते वेश्या बोल हीं देती ,पंडित जी अंत मति सो गति , पंडित जी गुस्से से बोलते तुमको बार -बार कहते हैं तुम हमको मत सिखाओ।
इसी तरह दिन बीतता गया । दोनों बूढ़े हो गए,अब एक दिन पंडित जी बहुत बीमार हो गए अब वे मरने वाले थे ,उनके बेटे ने सोचा मेरे पिता जी तो अब मर हीं जाएंँगे क्यों ना अभी उनके जिंदे में स्पीकर लगाकर मनोरंजन करूंँ मेरे पिता जी भी खुश हो जाएंँगे कि मेरा बेटा कितना अच्छा काम कर रहा है ।ये सोचकर उनके बेटे ने स्पीकर लगा दिया ।अब स्पीकर बोल रहा है और पंडित जी सुन रहे हैं ।बोल तो पा नहीं रहे थे कि किससे क्या कहूं । पंडित जी सोच भी रहे थे और सुन भी रहे थे कि अचानक उनका ध्यान लाॅड स्पीकर पर गया और उनका प्राण छूट गया ।

अब जैसे हीं उनका प्राण छूटा कि उनका जन्म एक चमार जाति के यहांँ हो गया , जिनके यहांँ वे जन्म लिये उनको पहले से कोई संतान नहीं थी, बहुत दिनों पर ये संतान उन्हें प्राप्त हुआ था ।बहुत खुश थे वे दोनों पति-पत्नी , जिनके घर में ये पैदा हुए थे। जब पंडित जी चमैन के यहांँ पैदा लिए तब उनको पूर्व जन्म के बारे में उन्हें याद था कि हम पूर्व जन्म में एक पंडित जी थे ।अब वे अपनी मांँ का दूध हीं नहीं पी रहे हैं कि हम तो ब्राह्मण हैं और जिसके यहांँ मेरा जन्म हुआ है ये तो जाति के चमार हैं हम कैसे इनका दूध पीएंँगे ।अब घर में सभी परेशान हो गए कि बच्चा तो बहुत अच्छा है पर दूध क्यों नहीं पी रहा है। उनके घर वालों ने डाक्टर ,ओझा,हकीम सभी को बुलाया ,सभी ने बच्चे को देखा और कहा कि बच्चा तो बहुत अच्छा है इसको कोई बीमारी नहीं है लेकिन दूध क्यों नहीं पी रहा है ।अब सभी परेशान हैं कि इतना दिन पर बच्चा हुआ वो भी दूध नहीं पी रहा है।

ये बात उस वेश्या के कानों तक गई वेश्या सोची क्यों ना मैं भी उस बच्चे को देखने जाऊंँ आखिर क्या बात है ।ये सोचकर वह भी एक लाठी का सहारा लेकर उस चमैन के यहां पहुंँच गई और बच्चे के मांँ से बोली हमको भी थोड़ा बच्चे को दिखा दो , बच्चे की मांँ बोली नहीं नहीं हम इसको अपना बच्चा नहीं दिखायेंगे
ये बूढ़िया कौन है नही है डैन- जोगिन है कि क्या है ।इस पर बूढ़ी बोली हम कुछ नहीं हैं थोड़ा सा बच्चा दिखादो ,
अब वहांँ पर जितने डाक्टर, हकीम बैठे थे सबों ने बच्चे के माता-पिता से बच्चा दिखाने कहा । सबों के कहे अनुसार बच्चे की मां ने बच्चा दिखा दिया । बूढ़ी ने बच्चे को जैसे हीं देखा वह उन्हें पहचान ली और बोली थोड़ा सा मेरे गोदी में दो , ना नुकुर के बाद बच्चे की मांँ ने उस बूढ़ी औरत के गोदी में बच्चे को दे दिया ।

तब उस बूढ़ी महिला ने उस बच्चे के कान में कहा देख लिए ना पंडित जी आपको हम कहते थे
कि अंत मति सो गति लेकिन आप हमको डांँट देते थे।अगर आप उसी समय मेरी बात मान लिए होते तो आज आपको ये दिन देखना नहीं पड़ता।मरने के समय आपका ध्यान लाॅड स्पीकर पर चला गया तो देखिए आपका जन्म चमार जाति में हो गया ।अब आपका कुछ नहीं होगा ।आप ये मत सोचिए कि मैं ब्राह्मण हूंँ और चमैंन मांँ का दूध कैसे पीएॅ॑गे ,अब तो आपको इसी माॅ॑ का दूध पीना पड़ेगा ,क्योंकि अब आपकी माॅ॑ यही है।
, जाइये मांँ की गोदी और पीजिए अपनी मांँ का दूध ,आप तो बहुत विद्वान हैं आप को पूर्व जन्म की सारी बातें याद है इसलिए बड़े होकर आप बहुत बड़े विद्वान होंगे और संत रविदास जी महाराज के नाम से जानें जाएॅ॑गे। क्योंकि सत्संग में जाने के कारण उस वेश्या ने दूर दृष्टि को प्राप्त कर चुकी थी।
तब उस बूढ़ी महिला की सारी बातें सुनकर बच्चा अपनी माॅ॑ का दूध पीने लगा ।अब तो बूढ़ी महिला को देखकर सब खुश हो गये ।रवि दास जी महाराज के माता-पिता ने उस बूढ़ी महिला को कुछ उपहार देने लगे बूढ़ी महिला बोली हम कुछ नहीं लेंगे । मैं तो सिर्फ इस बच्चे को देखने आई थी सो देख ली और पहचान भी ली कि यह वही मेरे दोस्त पंडितजी हैं।और सबों को अपने और पंडित जी के बारे में कहानी बताई और फिर वह अपने घर चली गई। इसलिए अगर हम मरने से पहले ईश्वर का‌ नाम रटते रहें तो मरने के समय में उनका नाम याद रहेगा तो हमें किसी भी चीज में जन्म नहीं लेना और हम ईश्वर में मिल जाएंँगे फिर दुबारा जन्म नहीं लेना पड़ेगा । आवागमन के चक्र से छूट जाएॅ॑गे। इसलिए हर साॅ॑स में ईश्वर का‌ नाम लेते रहिए।

नीतू रानी
स्कूल का नाम-म०वि०सुरीगाँव
प्रखंड -बायसी
जिला -पूर्णियाँ,बिहार।

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3 thoughts on “संत रविदास -पूर्व जन्म -नीतू रानी

  1. मनघड़ंत कहानी बनाने वालो तुम पर कभी भी उस सतगुरु की कृपा नहीं होगी। तुम तिल तिल कर के मरोगे। क्योंकि जिस सतगुरु ने इस जाति प्रथा का घोर विरोध किया है तुम उनको ही जाती से जोड़ के दिखा रहे हो। ये ज्ञान अपने पास ही रखो । और ये बता के तुम पंडित किसे मनती है कि सी एक कुल में जन्म लेने वाला ही पंडित नहीं होता। इतनी अक्ल कब आएगी तुम्हें। सतनाम जी।

  2. संत श्री गुरु रविदास साहब की सही बात यहां है
    उन्होंने कहा अगला पिछला जन्म कुछ नहीं होता
    जिस तरह दीपक की जोत बुझाने के बाद कहीं और नहीं जाती
    इसी तरह धरती पर हर प्राणी का जीव कहीं नहीं जाता
    दीपक की जोत हो या इंसान मनुष्य प्राणी का जीवन दोनों में ऊर्जा रहने तक उसका अस्तित्व होता है
    ऊर्जा खत्म अस्तित्व खत्म
    इसलिए धरती पर जिसके पास जो भी ऊर्जा है
    उसका सही से इस्तेमाल कीजिए
    उदाहरण के तौर पर अगर आपके पास दांत
    है तो आपका पेट भरने के लिए है किसी को जख्म देने के लिए नहीं
    आज के लिए इतना ही जय संत शिरोमणि गुरु रविदास साहब की जय

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