ग्रामीण सामाजिक परंपरा एवं संस्कृति पर आधारित श्री विमल कुमार”विनोद” लिखित लघुकथा “परंपरागत संस्कृति की झलक”प्रस्तुत है।मोहन नामक एक शहर के रहने वाले शिक्षक की नियुक्ति ग्रामीण क्षेत्र में हो… परंपरागत संस्कृति की झलक- श्री विमल कुमार”विनोद”Read more
Author: Anupama Priyadarshini
दास्तां-ए-जिन्दगी – श्री विमल कुमार”विनोद”
सोहन नामक एक छोटा सा बालक, जिसका जन्म एक साधारण निर्धन परिवार में हुआ था।वह बालक बचपन में तो पढ़ने-लिखने में कम अपने दोस्तों के साथ खेलने कूदने में अधिक… दास्तां-ए-जिन्दगी – श्री विमल कुमार”विनोद”Read more
दुःख में छिपा सुख- श्री विमल कुमार “विनोद”
आज से लगभग पचास वर्ष पूर्व की बात है,किसी गाँव में एक मध्यम वर्गीय परिवार था,जिसमें परिवार के मुखिया रेलवे में टाॅली मैन की साधारण सी नौकरी कर रहे थे,कम… दुःख में छिपा सुख- श्री विमल कुमार “विनोद”Read more
बेवकूफ – दया
देर रात अचानक ही रामाकांत जी की तबियत बिगड़ गयी,आहट पाते ही उनका बेवकूफ बेटा उनके सामने था।माँ ड्राईवर बुलाने की बात कह रही थी, पर उसने बोला – अब… बेवकूफ – दयाRead more
नमक हराम -संजीव प्रियदर्शी
‘रमेश बिल्कुल नमक हराम निकला। कितना समझाया था कि बाबूजी को घर पर रखकर उनकी अच्छी तरह देखभाल किया करना। परन्तु उसने तो बाबूजी को वृद्धाश्रम में ले जाकर छोड़… नमक हराम -संजीव प्रियदर्शीRead more
मौन प्रेम -कंचन प्रभा
बहुत ही सुन्दर गाँव था। गाँव में काफी खूबसूरत वातावरण था। कल कल करती नदियाँ बह रही थी। हरे-भरे पेड़ पथिकों को चिलचिलाती गर्मी से राहत दिया करते थे। खेतों… मौन प्रेम -कंचन प्रभाRead more
सबक – रेवती रानी
एक लड़का, नाम था किसन। माँ का बहुत ही दुलारा था इसलिए बहुत ही शरारती था। उसकी उम्र पाँच वर्ष थी। हमेशा वह कुछ न कुछ गड़बड़ी करते रहता था।… सबक – रेवती रानीRead more
राजू को समझ आई -कुमकुम कुमारी
(राजू नहाते हुए) माँ-माँनल से पानी नहीं आ रहा है! माँ- क्यों?नल को ठीक से खोलो।राजू- माँ नल खुला हुआ है। माँ- अरे तो फिर पानी क्यों नहीं आ रहा… राजू को समझ आई -कुमकुम कुमारीRead more
मैजिक का भ्रम -मीरा सिंह
अंशु कक्षा पांच का छात्र था। पढ़ाई में वह बहुत तेज था। परंतु इधर कुछ दिनों से वह खेल में ज्यादा रुचि लेने लगा था।इस बदलाव से उसके माता-पिता बहुत… मैजिक का भ्रम -मीरा सिंहRead more