ओपनिंग दृश्य-(एक शिक्षक जो कि गाँव के विद्यालय में कार्यरत है,जो कि ग्रामीण को अपने बच्चों को पढ़ने के लिये जाने को कहते हैं)शिक्षक-बहन जी,आपलोग अपने बच्चे-बच्चियों को विद्यालय पढ़ने… बाल-अधिकार- श्री विमल कुमार”विनोद”Read more
Author: Anupama Priyadarshini
“होनहार बालक” – श्री विमल कुमार”विनोद”
पृष्ठभूमि-मनोज एक दिन टहलते हुये गाँधी मैदान पटना पहुंचा।वहाँ उन्होंने एक बालक को एक “कागज का टुकड़ा” उठाकर पढ़ते देखा।बालक जो की गरीबी की मार से त्रस्त था एक पुरानी… “होनहार बालक” – श्री विमल कुमार”विनोद”Read more
जीवन की दुर्दशा”-श्री विमल कुमार “विनोद”
एक छोटा सा बालक एक अमीर के घर में जन्म लेता है।जन्म के बाद सबसे पहले उसका नामकरण एक ज्ञानी पंडित जी के द्वारा कराया जाता है।पंडित जी उसका नाम… जीवन की दुर्दशा”-श्री विमल कुमार “विनोद”Read more
महाविनाश”-श्री विमल कुमार “विनोद”
पृष्ठभूमि-(अचानक बादल फटने की आवाज की खबर)श्याम-(चिल्लाकर)भागो-भागो, जल्दी भागो,बाढ़,बाढ़,लोग पानी में बह गये,भागो-भागो।शंकर-(आश्चर्य से)क्या हुआ भाई,यह भागो-भागो,बाढ़-बाढ़ की आवाज कहाँ से आ रही है।महेश-(शंकर से)नहीं जानते हो केदारनाथ में बादल… महाविनाश”-श्री विमल कुमार “विनोद”Read more
वृक्ष की व्यथा- श्री विमल कुमार “विनोद”
एक लघु नाटिका कास्टिंग सीन-जंगल का दृश्य। (अंधेरी रात,जंगल में शेर,चीता, भालू,सियार तथा अन्य जानवरों की आवाज,इसी बीच जंगल में लकड़ी काटने की आवाज) काटो, जल्दी काटो। मोटी-मोटी सीसम, सागवान,महोगनी,आम,जामुन… वृक्ष की व्यथा- श्री विमल कुमार “विनोद”Read more
“पर्यावरण की तबाही”- श्री विमल कुमार “विनोद”
कास्टिंग सीन-बचाओ,बचाओ,अरे कोई तो बचाओ,बचने का कोई भी उपाय तो बताओ। चारों ओर तबाही ही तबाही नजर आ रही है।(नेपथ्य से आश्चर्य पूर्वक ) तबाही ,अरे किस बात की तबाही।… “पर्यावरण की तबाही”- श्री विमल कुमार “विनोद”Read more
“औघड़”- ,पार्ट-02- श्री विमल कुमार “विनोद”
संक्षिप्त सार-महेश एक साधारण गरीब परिवार का लड़का जो कि गणित से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त करने के बाद लगातार नौकरी की तलाशी में रहता है लेकिन रोजगार नहीं प्राप्त… “औघड़”- ,पार्ट-02- श्री विमल कुमार “विनोद”Read more
चुड़ैल का डर- श्री विमल कुमार” विनोद”
सामाजिक अंधविश्वास पर आधारित श्री विमल कुमार” विनोद” लिखित लघुकथा।यह लघुकथा सुदूर ग्रामीण क्षेत्र का है जहाँ पर गाँव के छोर में एक विशालकाय वट वृक्ष है,जहाँ पर गाँव की… चुड़ैल का डर- श्री विमल कुमार” विनोद”Read more
गरीबी की कब्र पर पनपी हँसी-श्री विमल कुमार” विनोद”
एक बड़े शहर के चंराहे पर सुबह के 10 बजे एक चमचमाती हुई कार ट्रैफिक पर आकर लगती है।उसी समय एक लड़की जो कि फटी हुई सलवार तथा पायजामा पहनी… गरीबी की कब्र पर पनपी हँसी-श्री विमल कुमार” विनोद”Read more
झगड़ैया”-अंगिका लघुकथा -श्री विमल कुमार”विनोद”
“झलिया”नाम केरो एगो पाँच बच्छर केरो लड़की जे कि भोरे सुति ऊठी केरो बाद से ही जिनगी भर गाँव घरो म जरा जरा बातो में झगरा करैय छलय। ऐकरे उपर… झगड़ैया”-अंगिका लघुकथा -श्री विमल कुमार”विनोद”Read more