कुँवर सिंह का जन्म 23 अप्रैल 1780 ई . को भोजपुर जिले के जगदीशपुर गांव (आरा) में हुआ था । उनके पिता साहबजादा सिंह एक उदार स्वभाव के जमींदार थे । कुँवर सिंह अपने पिता के ज्येष्ठ पुत्र थे । उन्हें शिकार और बहादुरी के कामों में बड़ी रुचि थी। उनका विवाह देवभुंगा ( गया ) से हुआ था । उन्होंने जगदीशपुर के विकास के लिए अनेक कार्य किए ।
सन् 1857 ई. के पहले भी अंग्रेजों से विरोध में छिटपुट विद्रोह हो रहे थे । 25 जुलाई 1857 ई. को दानापुर में हिन्दुस्तानी सिपाहियों ने विद्रोह शुरू कर दिया । कुँवर सिंह पटना के कमिश्नर टेलर के अत्याचारों से चिढ़े हुए थे । इस विद्रोह में कुँवर सिंह के छोटे भाई का भी योगदान सराहनीय था। सैनिक विद्रोह में रानी लक्ष्मी बाई के सहयोगी के रूप में उन्होंने अंग्रेजों से डटकर मुकाबला किया । युद्ध में उनकी एक बांह भी कट गई थी और जांघ में भी सख्त चोट थी । इन सब के बावजूद वे अंग्रेजो से लड़ते हुए सन् 1858 ई . में वीरगति को प्राप्त हुए ।
वीर कुँवर सिंह के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें :-
- बहादुरी और साहस :- वीर कुँवर सिंह अपने साहस और बहादुरी के लिए जाने जाते थे । उन्होंने ब्रिटिश सेना के खिलाफ कई महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ी ।
- नेतृत्व :- वें एक कुशल नेता थे और उन्होंने 1857 के विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
- संगठन :- वे एक कुशल संगठक थे और उन्होंने एक बड़ी सेना तैयार की ।
- योजना :- उन्होंने विद्रोह की रणनीति के लिए एक विस्तृत योजना बनाई ।
- लड़ाई :- उन्होंने कई महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ी और ब्रिटिश सेना को नुकसान पहुंचाया ।
- प्रभाव :- उनके कार्य ने ब्रिटिश शासन को कमजोर किया और स्वतंत्रता आन्दोलन को बढ़ावा दिया ।
– इस प्रकार हम कह सकते कि वीर कुँवर सिंह का नाम देश के स्वतंत्रता सेनानी के रूप में स्वर्णाक्षरों में अंकित किया गया है ।
आशीष अम्बर,
उत्क्रमित मध्य विद्यालय धनुषी, केवटी, दरभंगा, बिहार