बुद्ध पूर्णिमा विशेष : गिरेन्द्र मोहन झा

आज बुद्ध पूर्णिमा है । आज के दिवस को वैसाख या बुद्ध जयंती पर्व के नाम से भी जानते हैं । बुद्ध के जीवन से जुड़ी घटनाएं यथा जन्म, महाभिनिष्क्रमण(गृह-त्याग), धर्मचक्रप्रवर्तन(आत्मज्ञान की प्राप्ति) और महापरिनिर्वाण(मृत्यु) आज ही के दिन हुई थी ।
महात्मा बुद्ध को महर्षि वेदव्यास ने श्रीमद्भागवतमहापुराण में भगवान विष्णु का अवतार बताया है । कवि जयदेव ने दशावतार स्तुति में बुद्ध को भगवान श्रीहरि विष्णु के अवतार के रूप में वन्दना की ।
महात्मा बुद्ध चाहे अवतार हों या मानव, किन्तु उन्होंने अपने जीवन को लोगों के लिए प्रेरक बना दिया । उन्हें शाश्वत ज्ञान की प्राप्ति बोधगया में अश्वत्थ वृक्ष के नीचे हुई । उन्होंने “अप्पो दीपो भव” (अपना प्रकाश स्वयं बनो) का उपदेश दिया । उनके द्वारा बताया गया मध्यम मार्ग अत्यंत प्रेरक रहा । उन्होंने कहा, ‘मैं आत्मा-परमात्मा पर बात नहीं करता, भला करो और भले बनो ।’ उन्होंने अपना उपदेश पाली और प्राकृत भाषा में दिया था ।

नेपाल के कपिलवस्तु का लुम्बिनी ग्राम उनकी जन्मभूमि थी । भारत, चीन आदि उनकी कर्मभूमि रही । कुशीनगर उनका महापरिनिर्वाण भूमि ।
राजा शुद्धोधन और मायादेवी के इस पुत्र ने जगत् में ज्ञान, दर्शन का प्रकाश फैलाया । देवी गौतमी(इनकी मौसी) ने इनका पालन किया, फलत: इनका नाम गौतम पड़ा । इनकी भार्या यशोधरा के नाम पर मैथिलीशरण गुप्त ने एक खण्डकाव्य भी लिखा है ।
बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ और इस अवसर पर शाक्यमुनि महात्मा बुद्ध को मेरा प्रणाम ।

नोट: महाभिनिष्क्रमण कहीं वैशाख पूर्णिमा, तो कहीं आषाढ़ पूर्णिमा(उत्तराषाढ़ नक्षत्र), कहीं कार्तिक पूर्णिमा दिया है।

गिरीन्द्र मोहन झा

+२ भागीरथ उच्च विद्यालय, चैनपुर-पड़री, सहरसा

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