बचपन में रामू महतो और मनोहर सिंह के बीच दांत कटी दोस्ती थी, ना जात का बंधन ना अमीरी का रोब प्राथमिक विद्यालय भरगामा में दोनों साथ पढ़ते थे। उस… दो टुकड़े वाली नोट : अरविंद कुमारRead more
Category: हिन्दी कहानी
स्त्री का दर्द : रूचिका
सरिता जी की कामवाली सरला आज फिर देर से आई। सरिता जी ने कहा, “सरला,आज फिर तूने देर कर दी जबकि कल ही मैंने कहा था जरा जल्दी आना, कुछ… स्त्री का दर्द : रूचिकाRead more
उद्धार : अरविंद कुमार
” राम..नाम..सत्य..है,सब.. का..यही.. गत..है.राम..नाम…सत्य..है..सब ..का ..यही ..गत .है ” के नारे के साथ रंगीन कागज से सजी भागवत दास की अर्थी आगे-आगे चल रही थी । पीछे से टोले के… उद्धार : अरविंद कुमारRead more
दोहरा चेहरा : रूचिका
तालियों की गड़गड़ाहट के बीच सुधा जी का जोरदार स्वागत किया गया। सुधा जी को नारी उत्थान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान और स्त्रियों के सुरक्षा और सहयोग के लिए… दोहरा चेहरा : रूचिकाRead more
राखी का वचन : रूचिका
दीदी,जल्दी से राखी बाँधो, तभी न मैं तुम्हारी हर मुसीबत से रक्षा करूँगा। दस वर्षीय सोनू ने अपनी पंद्रह वर्षीय बहन नेहा से ये बात कही तो नेहा ने चिढ़ते… राखी का वचन : रूचिकाRead more
एक और सुबह : अरविंद कुमार
आ..छी..ईईईईई ..। ऊह…,हे..रे..भागता है की नहीं उधर ” दशरथ ओझा ने मंगलू के छींकने पर अपना मुंह बनाते हुए कहा। “हे रबिया माय, रबिया माय” रबिया माय आंगन के चूल्हा… एक और सुबह : अरविंद कुमारRead more
पिता की सीख : कुमारी निधि
रोहन तब बारहवीं में पढ़ रहा था। वह पढ़ने में बहुत होशियार था। रोहन के पिता ने उसे कोई कमी नहीं दी। रोहन के मुँह खोलने से पहले उसके सामने… पिता की सीख : कुमारी निधिRead more
एक बेटी की उड़ान : सुरेश कुमार गौरव
गौरी को जब पहली बार आसमान में उड़ते हवाई जहाज़ को देखने का मौका मिला, वह बस चुपचाप उसे देखती रही। उसकी माँ ने पूछा – “क्या सोच रही है… एक बेटी की उड़ान : सुरेश कुमार गौरवRead more
मैं भी तो बेटी हूं : डॉ. स्नेहलता द्विवेदी आर्या
सलमा धीरे धीरे आकर मेरे बगल में झिझकते और शर्माती हुई ख़डी हो गई। पहले तो मैंने उसे तवज्जो नहीं दी लेकिन ज़ब वो किंकर्तव्यविमूढ़ होकर इधर उधर देखती हुई… मैं भी तो बेटी हूं : डॉ. स्नेहलता द्विवेदी आर्याRead more
बबली की पाठशाला : मो. ज़ाहिद हुसैन
संज्ञानात्मक विकास एवं शिक्षा-1( प्रथम पाठशाला) बच्चे जब पैदा होते हैं तो वे नये परिवेश में रोते हैं। मां जब उसके मुंह से स्तन को लगाती है तो वे स्वतःस्फूर्त… बबली की पाठशाला : मो. ज़ाहिद हुसैनRead more