संत शिरोमणि रविदास जी-मनोज कुमार दुबे

संत शिरोमणि रविदास जी                 सर्व विद्या धर्म की नगरी और भारत की सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी को दुनिया के सबसे प्राचीन नगरों में… संत शिरोमणि रविदास जी-मनोज कुमार दुबेRead more

खूबसूरत अनुभूतियां-मधुमिता

खूबसूरत अनुभूतियां           समय के चक्र के साथ-साथ जीवन की यात्रा निरंतर चलती रहती है। मां की गोद में एक नवजात शिशु, माँ ही जिसका संसार,… खूबसूरत अनुभूतियां-मधुमिताRead more

फणीश्वरनाथ रेणु-हर्ष नारायण दास

फणीश्वरनाथ रेणु           एक सफल साहित्यकार, कुशल कलाकार, जनप्रिय नेता, आदर्श समाजसेवी, राष्ट्रभक्त क्रान्तिकारी, आत्मविश्वासी फणीश्वरनाथ रेणु का जन्म 4 मार्च 1921 शुक्रवार को बिहार राज्य… फणीश्वरनाथ रेणु-हर्ष नारायण दासRead more

कोविड के बाद मेरी पहली कक्षा-भवानंद सिंह

कोविड के बाद मेरी पहली कक्षा             कोविड-19 के बाद विद्यालय में पुनः चहल पहल देखी जा रही है। इसका मुख्य कारण है कि लगभग ग्यारह… कोविड के बाद मेरी पहली कक्षा-भवानंद सिंहRead more

टूटते बिखरते सपने-राजीव नयन कुमार

टूटते बिखरते सपने            कुसुमपुर गांव में राघव नाम के एक व्यक्ति अपनी पत्नी दौलती और दो बच्चों के साथ रहता था। वह बहुत गरीब था।… टूटते बिखरते सपने-राजीव नयन कुमारRead more

टीचर्स ऑफ बिहार की परिसंकल्पना-रोमा कुमारी

टीचर्स ऑफ बिहार की परिसंकल्पना शंकर- अरे आज का अखबार कहांँ है? यह रहा आज का अखबार जरा एक सरसरी निगाह से मुख्य बिंदुओं को देख तो लूं क्या देखूं?… टीचर्स ऑफ बिहार की परिसंकल्पना-रोमा कुमारीRead more

नशा-अरविंद कुमार

नशा (इस कहानी के पात्र, घटनायें व स्थान काल्पनिक है, इसका उद्देश्य मनोरंजन है।) “नमिता अरे ! ओ नमिता !…….. लड़खड़ाते कदम, बहकी आवाजें, मुंह से निकलते विशेष दुर्गंध को… नशा-अरविंद कुमारRead more

कृषि के लिए बैल का उपयोग-सुमोना घोष

कृषि के लिए बैल का उपयोग            जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की तो सभी जीव-जंतु धरती पर अवतरित हुए । पेड़ पौधे, जलचर,… कृषि के लिए बैल का उपयोग-सुमोना घोषRead more

त्याग और बलिदान-भोला प्रसाद शर्मा

त्याग और बलिदान (यह कथा विद्यालय सम्बंधित है जिसमें  श्यामपट, चॉक और डस्टर आपस में वार्तालाप करते हैं।) श्यामपट: नमस्कार भाई साहेब नमस्कार। चॉक: नमस्कार! नमस्कार!कहिये जनाब कैसे बीत रहा… त्याग और बलिदान-भोला प्रसाद शर्माRead more

कलंक-अरविंद कुमार

कलंक           “रमेश..जी, अरे! ऐ रमेश..जी.. उठअ..हो..कर्मचारी..साहेब, तनी नींद.. तोड़ल..जाय..हो “रामनगर थाने का दारोगा कुन्दन, रमेश के बांह पर हाथ रख, उसे हिलाते-डुलाते हुए बोला। दारोगा… कलंक-अरविंद कुमारRead more