नारी सम्मान-बीनू मिश्रा

Binu

नारी सम्मान

          भारतीय संस्कृति में महिलाओं के सम्मान को बहुत ही महत्व दिया गया है। संस्कृत में एक श्लोक है-“यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमंते देवता” यानी कि जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं। नारी केवल सामान्य शब्द नहीं है बल्कि एक सम्मान है, इसे देवत्व प्राप्त है। नारियों का स्थान वैदिक काल से ही देवतुल्य है इसलिए नारियों की तुलना देवी देवताओं से की जाती है। जब घर में बेटी जन्म लेती है तो कहा जाता है कि लक्ष्मी आई है, बहू आती है तो कहा जाता है लक्ष्मी आई है जबकि बेटों के जन्म पर ऐसा नहीं कहा जाता है। आज महिलाओं के प्रति लोगों की सोच में थोड़ा बदलाव आया है।

नारी केवल एक घर की नहीं बल्कि देश की शान होती है,। पहले की तुलना में आज नारी ज्यादा सक्षम है। अब महिलाएं अपने अधिकारों का सही इस्तेमाल करना जानती है।

कहा जाता है कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत सन 1908 ई. में न्यूयॉर्क में हुई थी। सन 1975 ई. में आधिकारिक रूप से इसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता देने का निर्णय लिया गया। इसका उद्देश्य महिलाओं और पुरुषों में समानता लाना है और लोगों में जागरूकता लाना है। भविष्य में प्रगति के लिए महिलाओं को तैयार करना है।

इस तरह अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को विश्व स्तर पर मनाया जाता है। इस साल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम थी-
“women scientist at the forefront of the fight against COVID -19
कोविड-19 महामारी के दौरान अलग-अलग क्षेत्रों में महिला शोधकर्ताओं की छवि उभर कर आई है।
जिसकी सराहना के लिए इस साल यह थीम रखी गई है।

प्रत्येक महिला को अपनी शक्ति को समझना होगा। महिला शक्ति सर्वोपरि है और अविश्वसनीय है। इन्हें कुछ शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है।
” कोमल है कमजोर नहीं तू,
शक्ति का नाम ही नारी है।
जग को जीवन देने वाली
मौत भी तुझसे हारी है।

और अंत में यह कहना चाहूंगी कि यह हमारा कर्तव्य है कि हम हमेशा महिलाओं का सम्मान करें उन्हें आगे बढ़ने को प्रेरित करें।

नारियां कभी नहीं होती बेचारी,
नारियों में होती है शक्ति सारी।

बीनू मिश्रा
भागलपुर

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