वचनसीमा – संजीव प्रियदर्शी

एक लघुकथा कपड़े के दो डिब्बे पति मनोहर को देती हुई बोली-‘ एक में तुम्हारी पसंद के शर्ट-पैंट हैं और दूसरे में रामू के कपड़े।’ मनोहर डिब्बों को खोलने के… वचनसीमा – संजीव प्रियदर्शीRead more

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