एहसान का बदला

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चित्र – ५

एहसान का बदला

एक घना जंगल था। उसके पास हीं सटा हुआ एक गाँव था – सुल्तानपुर। उस गाँव में भीखन साव नाम का एक किसान रहता था। उसकी दो बेटियांँ थी – चिंकी और पिंकी। चिंकी सात वर्ष की थी और पिंकी नौ वर्ष की। दोनों बहनें बड़े प्यार से अपने पिता के साथ रहा करती थी। उनकी माँ नहीं थी। कुछ साल पहले हीं कोरोना में चल बसी थी। पिंकी अपनी छोटी बहन का खूब ख्याल रखती थी।

एक दिन उसके पिता अपने साथ एक तोता लेकर आये और उसे पिंजरे में डाल दिए। दोनों बहनें उसको नहलाती, खिलाती और संग-संग खेला करती। दोनों काफी खुश नजर आ रहे थें। परंतु पिंजरे में बंद तोता जिसे दोनों बहनें प्यार से मीठू कहती थी, उड़ना चाहती थी। बार-बार पंख फैलाए बाहर निकलने का प्रयास करती। यह देखकर छोटी बहन चिंकी को अच्छा नहीं लगता था। हालांकि मीठू चिंकी का नाम बोलना भी शुरू कर दी थी।

एक दिन की बात है कि जब पिंकी कहीं गई हुई थी और तोता ने पंख फैलाया तो चिंकी से रहा नहीं गया और उसने पिंजरे का दरवाजा खोल दी। तोता फुर्र से उड़ गया। पिंकी जब लौटकर आयी और पिंजरे में तोता नहीं देखी तो पूछ बैठी। चिंकी ने सारी बात सच-सच बता दी। पिंकी उसे डाँटने के बजाय गले से लगा ली। और फिर दोनों बहनें साथ-साथ रहने लगे

एक दिन पिंकी अपने पिता जी का खाना लेकर खेत पर चली गयी। घर पर कुछ देर के लिए अकेली चिंकी हीं थी। तभी एक सुनहरी तितली उड़ते हुए आयी। चिंकी उसे पकड़ने की कोशिश करते हुए उसके पीछे-पीछे भागने लगी। उसका ध्यान हीं नहीं रहा कि कब वह जंगल के बीच में पहुँच गई। तितली जब काफी ऊपर जाकर एक पेड़ पर बैठ गई। तब वह निराश होकर लौटना चाही। मगर वहांँ तो उसे कोई रास्ता हीं दिखाई नहीं दिया। वह डर गयी थी और उदास होकर बैठी-बैठी रोने लगी।

तभी उसे किसी के पुकारने की आवाज सुनाई दी। चिंकी, चिंकी, चिंकी…। जब उसने नजर उठाई तो कोई दिखाई नहीं दिया। तभी फिर से चिंकी… सुनाई पड़ा। जब उसने अपनी सिर ऊपर उठायी तो देखी कि यह तो वही तोता है, जिसे उसने आजाद की थी। अब चिंकी खुश हो चुकी थी और तोते को सारी बात बताई मानो वह अपनी बहन को बता रही हो। तोता उसके पास आया और उड़ने लगा। अब चिंकी भी उसके पीछे-पीछे चल दी। कुछ हीं देर में दोनों जंगल के बाहर थें। अब चिंकी के घर का रास्ता दिखाई देने लगा था। चिंकी ने तोते को धन्यवाद कहा। तोता चिंकी चिंकी कहते हुए वापस जंगल में चला गया।

सीख:-
१. हमें किसी भी जीव को बेवजह कैद नहीं करना चाहिए।
2. हमें उपकार करना चाहिए। कर्म का फल अवश्य मिलता है।
3. किसी का एहसान चुकाने का अवसर मिलने पर अपना प्रयास अवश्य करना चाहिए।
4. आकर्षण में अपनी होशोहवास नहीं खोनी चाहिए।
5. बच्चों को अकेले कहीं नहीं निकलना चाहिए।

कहानीकार:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश, पालीगंज, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

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