कहानी – संस्कृति चौधरी

Sanskriti Chaudhary

कहानीदरभंगा जिले में एक देवेश नाम का बालक रहता था। वह अपनी दादी से बहुत प्यार करता था। और दादी भी देवेश पर खूब स्नेह लुटाती थी। दादी देवेश को प्यार से देबू बुलाती थी। आज दादी ने देबू के पसंद की दलिया बनाई है। और ज़रा सी दस्तक पर दादी दरवाजे पर बार बार निहार रही है कि कहीं देबू तो नहीं। बहुत देर हो गई देबू अब तक नहीं आया। दादी को बहुत चिंता हो रही थी। तभी धीरे धीरे देबू आता दिखा। दादी दौड़ी दौड़ी आई क्या हुआ देबू? इतनी देर कहां लगा दी? देबू बेटा तेरा शरीर तो तप रहा है तुझे तो बुखार है। देबू को उल्टियां और दस्त होने लगे। जल्दी से दादी पास के दिनेश काका को बुला लाई। दिनेश काका शहर से डॉक्टरी पढ़े हैं। और छुट्टी में घर आएं हैं। डॉक्टर ने आ कर देबू को दवा दी। और देबू को आराम करने को कहा।साथ ही डॉक्टर अंकल ने बताया कि देबू बिना हाथ धो कर खाना खाता है इसलिए वह बीमार पड़ा है। देबू – डॉक्टर चाचा मैं तो रोज हाथ धोता हूँ।डॉक्टर :- देबू आज मैं तुम्हे हाथ धोने के तरीकों के बारे में बताता हूँ।अपने हाथों, उंगलियों, नाखूनों और कलाइयों की सभी सतहों को साफ़ करना सुनिश्चित करें। अपने हाथों और कलाइयों को कम से कम बीस सेकंड तक रगड़ें। अपने हाथों और कलाइयों को साफ – अधिमानतः बहते पानी से धोएं। अपने हाथों और कलाइयों को साफ तौलिये से सुखाएं, या उन्हें हवा में सूखने दें। इस तरह खाना खाने से पहले, खाने के बाद और शौच जाने से पहले और बाद हाथों को धोना चाहिए।देबू : – अच्छा यह तो स्कूल में मास्टर जी ने भी बताया था। लेकिन मैंने ध्यान ही नहीं दिया।डॉक्टर :- इसलिए तुम बीमार पड़ गए। अब यह हाथ धोने की यह विधि याद रखना। तुम कभी बीमार नहीं पड़ोगे।

संस्कृति चौधरी

द स्कॉलर

बिहार

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