शरारती गोलू
एक छोटा सा कस्बा कुशीग्राम। जहां घनी आबादी नहीं थी और शहरी चकाचौंध, वाहनों से दूर । कोई शोरगुल नहीं और जहां प्रकृति अपनी मनोरम छटा बिखेरती रहती। ग्रामीण माहौल शुद्ध वातावरण सबका मन मोह लेता।
रमा जी अपने बगीचे से सब्जी, फल कमला से तोड़वा रही थी। इस गांव के लोग अपने छोटे से खेत बगीचे में जैविक खाद का उपयोग करते थे। जिससे यह स्वास्थ्य के लिए तो अच्छा था ही पर इसके स्वाद में भी काफी भिन्नता होती थी। शहर से रमा जी के बेटे – बहू और बच्चे आ रहे थे। हर साल गरमी की छुट्टी में उनका बेटा शहर से दूर गांव आते थे और कुछ वक्त अपनी मां के साथ बिताए थे। उनकी बहू प्रकृति प्रिय थीं और उनको गांव का माहौल काफी पसंद था। इसलिए आज रमा जी काफी खुश दिख रही थी। रमा जी को एक पोता और एक पोती थी – जिसका नाम गोलू और बिन्नी था।
बिन्नी जितनी समझदार थी गोलू उतना ही शरारती था। गोलू के माता – पिता अक्सर उसे समझाया करते थे। पर गोलू पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता था। आज भी पिताजी गोलू को समझाते हुए आ रहे थे। गांव आते ही पिताजी और माताजी का चेहरा खिल उठता है। अपने बेटे बहू और पोते पोती को देख रमा जी की बेजान – सी आंखों में खुशी से चमक आ गई। बिन्नी और गोलू दादी से लिपट गए। फिर दोनों बगीचे की ओर भागे। बगीचे में आम के पेड़ पर एक चिड़िया बैठी थी। जिसके पैर में थोड़ी चोट लगी थी। गोलू उस पर एक पत्थर चलाया। पर बिन्नी ने कहा – गोलू ऐसा मत करो। दादी ने आवाज़ लगाई तो दोनों वापस दादी के पास आ गए। दादी ने कहा – शाम में घूमना, अभी आराम करो।
शाम में दोनों बगीचे गए। वहां और भी खेल रहे थे। गोलू उन बच्चों को देखकर हंसने लगा। क्योंकि ग्रामीण बच्चों के वेशभूषा और उनके रहन सहन में काफी अंतर था। सब गोलू को बस देखे जा रहे थे। फिर अचानक गोलू पेड़ पर चढ़ गया और उसी चिड़िया को परेशान करने लगा। उसने हाथ बढ़ाकर चिड़िया को पकड़ लिया और उसके पंख को खींचने लगा। बिन्नी उसे ऐसा करने से मना कर रही थी और बता रही थी कि गोलू उसे दर्द हो रहा है। पर गोलू कहां मानने वाला था। इसी बीच सीढ़ी से गोलू का पैर फिसला और वह धम्म से नीचे आ गिरा। सभी बच्चों ने मिलकर गोलू को उठाया और घर ले गए। गोलू के सिर पर चोट आई थी। डॉक्टर आकर उसकी मरहम पट्टी के चुके थे। गोलू को जब होश आया तो उसने देखा कि उसके पास वही सब बच्चे बैठे हुए हैं और उससे उसकी तबीयत के बारे में पूछ रहे हैं। तब गोलू को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह शर्म के मारे अपनी नज़रें चुराने लगा। तब पिताजी ने उसकी दोस्ती उन बच्चों से कराई और गोलू ने भी अपनी गलती स्वीकार कर माफ़ी मांगी। फिर उसे अचानक ही उस चिड़िया का ख्याल आया और उसने बिन्नी से पूछा – दीदी चिड़िया…..?
तब बिन्नी हंसते हुए बोली – सब ठीक है गोलू। अब तुम जल्दी से ठीक हो जाओ तब हम सब बच्चे मिलकर उस चिड़िया के साथ खेलेंगे। हां दीदी अब मैं कभी किसी को परेशान नहीं करूंगा और पंछी जानवर सभी से प्यार करूंगा। सब खुश होकर हँसने लगे।
नैतिक शिक्षा :-
• किसी को भी हीन भावना से नहीं देखना चाहिए।
• किसी को चोट नहीं पहुंचना चाहिए।
• जानवर – पंछी सबसे दया – प्यार की भावना रखनी चाहिए।
मधु कुमारी
कटिहार