विश्व महावारी स्वच्छता

  1. 🌸 विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस: गरिमा, जागरूकता और स्वास्थ्य की पुकार

    ✍️ सुरेश कुमार गौरव

    हर वर्ष 28 मई को विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस (Menstrual Hygiene Day) मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य है – माहवारी के विषय में जागरूकता फैलाना, सामाजिक वर्जनाओं को चुनौती देना और महिलाओं व किशोरियों के लिए स्वच्छ व गरिमामय वातावरण सुनिश्चित करना। यह दिन महिलाओं के उस मौलिक अधिकार की याद दिलाता है – स्वस्थ जीवन जीने का अधिकार, जिसमें माहवारी स्वच्छता एक अनिवार्य भाग है।

    🌺 माहवारी: प्रकृति की सहज प्रक्रिया

    माहवारी एक स्वाभाविक जैविक प्रक्रिया है, जो हर युवती व महिला के शरीर में प्रजनन चक्र का संकेत देती है। यह कोई रोग या दोष नहीं, अपितु नारी सृजन की शक्ति का प्रतीक है। फिर भी, समाज में आज भी इसे अपवित्र, छिपाने योग्य या शर्म की बात मान लिया जाता है। ऐसी सोच ने अनेक स्वास्थ्य, शिक्षा और आत्मसम्मान से जुड़े संकट खड़े कर दिए हैं।

    🧼 स्वच्छता: स्वास्थ्य की पहली शर्त

    माहवारी के दौरान यदि स्वच्छता का ध्यान न रखा जाए, तो महिलाओं को संक्रमण, त्वचा रोग, मूत्र मार्ग की समस्याएं तथा प्रजनन तंत्र की बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में साफ सैनिटरी नैपकिन, मेंस्ट्रुअल कप, या कपड़े का सही प्रयोग अनिवार्य है। इन साधनों को नियमित अंतराल पर बदलना और निजी अंगों की सफाई आवश्यक है।

    विद्यालयों, कार्यालयों और सार्वजनिक स्थलों पर स्वच्छ शौचालय, स्वच्छ जल और अपशिष्ट निपटान की व्यवस्था नारी गरिमा की रक्षा में सहायक होती है।

    🎓 शिक्षा और संवाद की ज़रूरत

    आज भी कई किशोरियाँ पहली माहवारी के समय घबराहट और भ्रम का शिकार होती हैं। यह स्थिति सूचना और मार्गदर्शन के अभाव का परिणाम है। विद्यालयों में किशोरियों को वैज्ञानिक, संवेदनशील और सकारात्मक तरीके से माहवारी शिक्षा दी जानी चाहिए। माता-पिता, विशेषकर माताएँ, इस विषय पर खुलकर संवाद करें तो अनेक भ्रांतियाँ स्वतः दूर हो सकती हैं।

    🤝 सरकारी और सामाजिक प्रयास

    भारत सरकार ने सुखद माहवारी अभियान, स्वच्छ भारत मिशन, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाओं में माहवारी स्वच्छता को सम्मिलित किया है। साथ ही अनेक स्वयंसेवी संस्थाएँ ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में निःशुल्क सेनेटरी पैड वितरण, जागरूकता शिविर एवं सामाजिक संवाद मंच चला रही हैं।

    🌹 मौन नहीं, मंथन हो

    माहवारी को कलंक मानने की प्रवृत्ति को समाप्त कर सम्मानजनक चर्चा की आवश्यकता है। यह दिवस हमें प्रेरित करता है कि हम नारी स्वास्थ्य के इस महत्वपूर्ण पक्ष को चुप्पी से नहीं, चेतना से जोड़ें। एक शिक्षित, संवेदनशील और सजग समाज ही ऐसी पहल को स्थायी बना सकता है।

    📝 निष्कर्ष:विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस केवल एक तिथि नहीं, यह एक सामाजिक दायित्व की चेतावनी है। अब समय है कि हम माहवारी को गोपनीयता नहीं, गरिमा से देखें। जब हर लड़की और महिला को स्वस्थ साधन, जानकारी और सम्मान उपलब्ध होगा, तभी सशक्त नारी और समृद्ध राष्ट्र का सपना साकार होगा।

    @सुरेश कुमार गौरव, प्रधानाध्यापक, उ.म.वि.रसलपुर, फतुहा, पटना (बिहार)

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