ग्रामीण लड़कियां-प्रीति कुमारी

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ग्रामीण लड़कियां

बात उन दिनों की है जब मैनें विद्यालय में योगदान किया था ।मेरा विद्यालय ग्रामीण परिवेश में स्थित है और इसमें अधिकांश लड़कियाँ मजदूर वर्ग से आती हैं । योगदान करने के बाद मैं नियमित विद्यालय आने लगी और पूरे मनोयोग से बच्चों को पढ़ाने लगी ।दिन यूँ ही बीतने लगे ।बच्चे मुझसे मिलकर काफी खुश लग रहे थे ।मैं भी बच्चों से घुल -मिल गई थी ।विद्यालय के अन्य शिक्षकों से भी मुझे स्नेह मिल रहा था ।इतना सबकुछ होने के बाद भी मैं संतुष्ट नहीं थी ।कहीं न कहीं मुझे कुछ खल रहा था ।

और मेरी परेशानी का कारण था,बच्चों का विद्यालय से पलायन ।मैं देख रही थी कि वर्ग 6th तक नियमित विद्यालय आने वाली लड़कियाँ 7th तक आते-आते आधी और 8th में उससे भी कम हो जा रही थीं ।अपनी तरफ से मैं काफी मेहनत करती पर बच्चियों का विद्यालय से पलायन एक गम्भीर समस्या बन गई थी ।

विद्यालय में हमेशा इस बात गहन चर्चा होती,परन्तु इसकी तह तक कोई नहीं पहुंच पा रहे थे ।विद्यालय में मेरी क्रिया-कलाप देखकर विद्यालय प्रबंधन ने मुझे वर्ग 8th का वर्ग शिक्षक नियुक्त किया और मेरे कन्धे पर यह जिम्मेवारी रख दी गई कि बच्चियों का पलायन आपको किसी भी प्रकार से रोकना है ।

मेरे लिए यह चुनौती से कम नहीं था ।मैनें इसे स्वीकार किया और अगले ही दिन से वर्ग 8th में जाने लगी ।साथ ही इस विषय पर सोंच भी रही थी कि मैं ऐसा क्या करुँ जिससे इनकी उपस्थिति बढ़ जाये ।

धीरे-धीरे मैनें महसूस किया कि कुछ लड़कियाँ महीने में चार -चार पांच पाँच दिनअनुपस्थित हो जातीं और कुछ हफ्तों गायब रहतीं और कुछ तो बिल्कुल ही नहीं आतीं ।मैनें उन्हें बुलाने का बहुत प्रयास किया ।अन्य लड़कियों को,रसोइया को उनके घर पर भेजा परन्तु कुछ खास फायदा नहीं हो पा रहा था ।लड़कियाँ कुछ दिन आतीं और फिर वही हाल ।

उसी में एक लड़की थी पूनम ।वो पढने में काफी अच्छी थी ।पढाई के साथ साथ विद्यालय के अन्य क्रिया-कलापों में भी वह बढ़- चढ़ कर हिस्सा लेती ।शुरुआत में वह नियमित विद्यालय आ रही थी परन्तु कुछ दिनों से उसने भी विद्यालय आना बन्द कर दिया ।अब मेरे सब्र का बांध टूट गया ।मैं अनायास ही उसके घर की ओर बढ़ चली ।उसका घर विद्यालय से कुछ ही दूर था ।मैं जब वहाँ पहुँची,मुझे देख वह काफी खुश हुई ,पर जब मैनें उससे विद्यालय नहीं आने का कारण पूछा तो वह उदास हो गई ।मैनें उससे प्यार से उसकी समस्या के बारे में पूछा और उसे विश्वास दिलाया कि मैं उसकी समस्या का समाधान हरहाल में करुँगी ।तब उसने बताया कि माहवारी के कारण ही वो विद्यालय नहीं आ पाई ।उसकी बातों ने अचानक ही मेरी आंखें खोल दी और मुझे आगे का रास्ता मिल गया ।मैनेंउसे विश्वास में लिया और उसे लेकर कुछ अन्य लड़कियों के घर भी गई और लगभग सभी के साथ यही समस्या थी ।मैनें उनकी माताओं से भी बात की परन्तु जागरुकता के अभाव में वे भी बच्चियों का ही साथ दे रही थीं ।

मैनें सबको समझा बुझा कर विद्यालय आने को कहा और विद्यालय में ही कोई रास्ता निकालेंगे ,ऐसा कहकर मैं घर आ गई ।मैं सोंच रही थी कि क्या वो मेरे कहने पर आयेंगी मेरी बातों का उनपर क्या प्रभाव पड़ा वगेरह -वगेरह ….

जब मैं अगले दिन विद्यालय पहुँची तो खुशी के कारण मेरी आँखें भर आईं ।कक्षा पूरी तरह से भरी हुई थी ।बैठने को डेस्क कम पड़ गये थे ।लड़कियाँ आई तो थीं परन्तु सभी की निगाहें मुझ पे टिकीं थीं ।सभी उत्सुक थीं यह जानने के लिए कि आख़िर प्रत्येक माह में कुछदिन यह परेशानी क्यों होतीं हैं?

क्यों?

क्यों?और

क्यों?

मैनें भी ठान लिया कि आज पूरे दिन पढ़ना पढ़ाना नहीं है बल्कि बच्चियों के साथ बातें करनी हैं,उनके साथ खेलना है और बातों ही बातों में उन्हें मासिक स्राव के बारे में बताना भी है ।

और मैनें वही किया ।मैनें बच्चियों को बताया कि किशोरावस्था में हार्मोन्स के कारण लडकियों में होनेवाला मासिक स्राव एक सामान्य प्रकिया है ।और यह सबों के साथ होता है ।हमारे साथ भी ।बात चीत के ही क्रम में मैनें

 

बच्चियों को मासिक चक्र,माहवारी के कारण होनेवाली कमजोरी,माहवारी में नैपकिन तथा पैड का प्रयोग,माहवारी के समय साफ सफाई पर विशेष ध्यान देना,गंदे कपड़े का उपयोग नहीं करना,खान- पान पर विशेष ध्यान देना आदि के बारे में विस्तार से बताया। अब मैं रोज कुछ न कुछ इसके बारे में बच्चोंको बताने लगी ।बालिका विद्यालय होने के कारण मुझे कोई परेशानी भी नहीं हुई ।

इसी समय विद्यालय में मीना मंच तथा बाल संसद का गठन हुआ ।मैनें चुन चुन कर उन्हीं बच्चियों को मीना मंच का सदस्य बनाया ।पूनम को सर्व सम्मति से मीना घोषित किया गया ।और यह निर्णय लिया गया कि किसी भी लड़की के साथ यदि कोई दिक्कत हो तो उसे मीना मंच की बच्चियाँ अपने स्तर से समाधान करेंगी ।जरूरत पड़ने पर हम सभी शिक्षक भी मार्गदर्शन देंंगे ।

मेरा मेहनत रंग लाया ।मीना मंच तथा बाल संसद की सहायता से कक्षा में उपस्थिति काफी बढ़ गई ।उम्मीद से ज्यादा बढ़ चढ़ कर बच्चियों ने इसपर काम किया ।

अब मैं बहुत खुश हूँ ।मेरे विद्यालय में बहुत से बदलाव हुये हैं और आज मेरा विद्यालय प्रखंड में मौड्ल विद्यालय के रुप में जाना जाता है ।

वर्तमान में मैं इसी विद्यालय की प्रधानाध्यपिका हूँ और अपने विद्यालय को मैं इसी तरह आगे बढते देखना चाहती हूँ ।

प्रीति कुमारी

कन्या मध्य विद्यालय मऊ विद्यापति नगर समस्तीपुर 🙏

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