आशीर्वाद-कुमारी निरुपमा

Nirupama

Nirupama

आशीर्वाद

          माॅं की तबीयत जब भी खराब होती थी मोनिया को पिंकी दीदी के घर जाना ही होता था। मोनिया की मां परीक्षा के समय पिंकी दीदी को बहुत बोली कि अभी उसकी परीक्षा है कैसे आ सकती हैं पर वह नहीं मानी। वह जल्दी-जल्दी काम निपटाकर परीक्षा देने गई। पिंकी दीदी ने साफ कह दिया कि वह पढ़ने जाएगी तो तुम्हारा काम कौन करेगा।
मोनिया सोचती थी कि पढ़ें लिखे लोग दूसरों को पढ़ने के लिए जरुर कहेंगे पर पिंकी दीदी ऐसा क्यों नही करती हैं। उसे कभी-कभी बहुत गुस्सा आता था।
आज मां ने घर आते ही कहा कि मोनिया कल सुबह पिंकी दीदी ने तुझे बुलाया है। कल कन्यापूजन में तुमको भी जाना है। मोनिया को पहले तो मन हुआ कि मना कर दें पर कुछ सोचकर चुप रह गई। अगले सुबह मां ने उसे अच्छी तरह तैयार किया। पिंकी दीदी ने आज उसके पैर धोए, महावार लगाया, हलवा पुरी, मिठाई काफी प्रेम से खिलाया। उसके बाद जब वह चलने लगी तो उसके पैर छूकर आशीर्वाद भी मांगा।तब मोनिया ने पिंकी दीदी से कहा कि मैं यही आशीर्वाद देती हूॅं कि हम सभी के पढ़ने में हमेशा सहयोग दीजियेगा। पिंकी दीदी भाव विह्वल हो मोनिया को गले लगा लिया।

कुमारी निरुपमा

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