आजादी का अमृत महोत्सव-कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’

Kumkum

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आजादी का अमृत महोत्सव

          15 अगस्त 1947 भारतीय इतिहास का वह स्वर्णिम दिवस जब भारत माँ के अनेक वीर सपूतों ने अंग्रेजों द्वारा दी गई नाना प्रकार के यातनाओं को सहकर, अपनी जान की कुर्बानियाँ देकर माँ भारती के पैरों में पड़ी परतंत्रता की बेड़ियाँ तोड़ भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में विश्व मानचित्र पर उदयमान किया। आज हमारा प्यारा देश भारत एक राष्ट्र के रूप में 75वॉं स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। आजादी की इस हीरक जयंती को पूरे राष्ट्र में एक उत्सव के तौर पर मनाया जा रहा है। आज से 74 वर्ष पूर्व हम विदेशी राज की परतंत्रता के सभी बंधनों से मुक्त हुए, स्वाधीन हुए। इसे हम अमृत महोत्सव के रूप में मना रहे हैं। आजादी के इन सात दशकों में जमाना काफी बदल गया है। तीसरी पीढ़ी आ गई है। पहली पीढ़ी ने आजादी पाने की जद्दोजहद खुद देखा था, भुगता था।दूसरी पीढ़ी उसे अपने बुजुर्गों से सुना, महसूस किया।परंतु तीसरी पीढ़ी को उसकी कोई सहज याद नहीं है।आजादी का यह अमृत महोत्सव हमारे उन तीसरी पीढ़ी को उन सपनों, आशाओं तथा अपेक्षाओं की याद दिलाएगा जिन्हें ‘हम भारत के लोग’ अपने दिलों में संजोए रहते थे।

देश के प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी ने गत मार्च माह में गुजरात के साबरमती आश्रम से स्वाधीनता का अमृत महोत्सव की शरुआत करते हुए कहा था कि “किसी राष्ट्र का गौरव तभी जाग्रत रहता है जब वो अपने स्वाभिमान और बलिदान की परंपराओं को अपनी अगली पीढ़ी को भी सिखाता है, संस्कारित करता है, उन्हें उसके लिए निरंतर प्रेरित करता है।” इसीलिए यह आशा की जा सकती है कि यह महोत्सव नई पीढ़ी में लोकतांत्रिक संस्थाओ के प्रति सम्मान पैदा करेगा और उनमें आजादी पाने के लिए दिए गए बलिदानों की स्मृति जगाते हुए समता तथा न्यायमूलक समाज की रचना का प्रेरणा देगा।
हमारी तीसरी पीढ़ी जो देश की आबादी का लगभग 65 प्रतिशत है और जो हमारे राष्ट्र को एक युवा राष्ट्र बनाती है। हमारे युवा असीमित शक्ति का भंडार हो सकते हैं यदि उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाए और उनके स्वास्थ्य की समुचित व्यवस्था की जाए तथा उनके हाथों में हुनर दे दिया जाए तो वह दिन दूर नहीं जब हमारा देश दुनिया के शीर्ष देशों में शुमार होगा।

अतः आवश्यक है कि हम अपने युवाओं को सुशिक्षित व संस्कारित करने की समुचित व्यवस्था करें। उनमें राष्ट्रप्रेम की भावना को जागृत करें। राष्ट्र हमारे लिए सर्वोपरि है जब इस भावना को लक्ष्य बनाकर कार्य किया जाए तो वह दिन दूर नहीं जब हम भारत को विश्वगुरू बनाने में सक्षम हो पाएँगे। हमारे पास गर्व करने के अथाह भंडार है, समृद्ध इतिहास है, चेतनामय सांस्कृतिक विरासत है जो हमें मुठ्ठी में आसमान को करने की बुलंद हौसला प्रदान करती है।
जय हिंद जय भारत🙏🏻

कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’
शिक्षिका
मध्य विद्यालय बाँक, जमालपुर

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