अहिंसा परम धर्म है- मनु कुमारी

एक बार एक बहेलिया भगवान महावीर के पास आया और बोला-भगवन! मैं आपके धर्म में शामिल होना चाहता हूं और आपसे दीक्षित होना चाहता हूं। भगवान महावीर ने कहा – तुम बहेलिया हो, पक्षियों को मारते हो हमारे धर्म में कैसे शामिल हो सकते हो? हमारे धर्म में हिंसा करना मना है।देखो ऊपर में लिखा है “अहिंसा परमो धर्म:”। बहेलिया ने कहा कि भगवन ! चिड़िया को मारना हमारी पेशा है। मैं अपनी पेशा से अगर मुंह मोड़ता हूं तो हमारा परिवार , हमारे बच्चे भूखे मर जायेंगे तो मुझे पाप लगेगा और यह भी हिंसा हीं होगा। भगवान महावीर कुछ देर मौन रहे बोले तुम ठीक कहते हो। मैं तुम्हें दीक्षा दे दूंगा। तुम हमारे धर्म में शामिल हो सकते हो लेकिन एक शर्त है अगर तुम मान लो तो मैं तुम्हें दीक्षा दूंगा। बहेलिया ने कहा भगवन मुझे आपकी हर शर्त मंज़ूर है।इस जीवन का कोई ठिकाना नहीं।आपसे दीक्षित होकर मैं ईश्वर की भक्ति कर भवसागर पार होना चाहता हूं इसके लिए मुझे आपकी हर शर्त मंज़ूर है। भगवान महावीर ने उसे स्नान के बाद उसे दीक्षा दी और कहा कि आज तुम प्रण कर लो कि मैं किसी एक चिड़िया को नहीं मारूंगा।वह चिड़िया तुम्हारे सामने आएगी तो अपने प्रण के कारण नहीं मार पाओगे।इसी तरह कुछ महीने के बाद दूसरी चिड़िया और तीसरी चिड़िया को छोड़ कर धीरे धीरे तुम अहिंसा को अपना लोगे और तुम्हारा पाप वृति मन से समाप्त हो जाएगा। बहेलिया ने ऐसा हीं किया। उसने प्रण किया कि आज कौआ को नहीं मारूंगा फिर उसके सामने कौआ आता तो वह उसे छोड़ देता। एक कुछ दिनों तक, महीनों तक उसने कौआ को नहीं मारा । फिर उसने प्रण किया कि अब मैना को नहीं मारूंगा।उसके सामने मैना आती तो वह अपने प्रण के कारण उसे छोड़ देता था।इस प्रकार धीरे – धीरे वह सभी चिड़िया का शिकार करना छोड़ दिया।वह अनुव्रत का पालन कर महाव्रत पर पहुंच गया। हिंसा छोड़ कर जैन धर्म का महान आचार्य बन गया।इसलिए हम सबको भी अहिंसा का मार्ग अपनाना चाहिए। हम अपने अन्दर बड़ा सुधार करना चाहें तो आरंभ छोटे से करना चाहिए। हिंसा सबसे बड़ा पाप है।अहिंसा परम धर्म है।

मनु कुमारी, प्रखंड शिक्षिका

मध्य विद्यालय सुरीगांव, बायसी, पूर्णियाँ बिहार

1 Likes
Spread the love

Leave a Reply