रामू,श्याम,मोहन,रघू,शशि,सोहन नामक बेरोजगार दोस्त जीवन में बेरोजगारी की मार से जूझते हुये तबाही के चरम शिखर पर पहुँच गये हैं।अब ये दोस्त मिलकर कोई अच्छा सा धंधा करना चाहते हैं।इन… वृक्ष लगाओ,रोजगार पाओ- श्री विमल कुमार “विनोद”Read more
Author: Anupama Priyadarshini
“उपहार में वृक्ष”- श्री विमल कुमार “विनोद”
मोहन एक विवाह समारोह में गया है।विवाह के समय जब वरमाला का कार्यक्रम चल रहा है वहाँ पर कई बड़े-बड़े पोस्टर लगे हुये हैं,जिसमें बड़े-बड़ेअक्षरों में लिखा हुआ है”उपहार में… “उपहार में वृक्ष”- श्री विमल कुमार “विनोद”Read more
वृक्ष धन अर्जन का एक साधन- श्री विमल कुमार”विनोद”
(राष्ट्रीय बालिका दिवस पर श्री विमल कुमार”विनोद” की प्रस्तुति।)23 वर्षीय मोहन एक सीधा- साधा खूबसूरत लड़का जो कि कर्मठ लेकिन गरीब परिवार में जन्म लिया था।जबकि शोभा नामक एक साँवली… वृक्ष धन अर्जन का एक साधन- श्री विमल कुमार”विनोद”Read more
कालचक्र- श्री विमल कुमार विनोद
।मोहन बाबू जो कि एक दफ्तर में काम करते थे।कामकाज करते-करते इनको यह महसूस होने लगता है कि अब जीवन के ग्राहस्थ आश्रम मेें प्रवेश किया जाय।इनके माता-पिता जी को… कालचक्र- श्री विमल कुमार विनोदRead more
प्रकृति – रणजीत कुशवाहा
हम सभी मानते है कि प्रकृति हमेशा न्याय करती है और यह मानना भी चाहिए।जो घटनाएं घटित होती है प्रकृति उसको पहले लिख चुकी होती है। अगर प्रकृति न्याय करतीं… प्रकृति – रणजीत कुशवाहाRead more
मूल्यों के विकास में परिवार की भूमिका- विमल कुमार विनोद
मूल्य शब्द का शाब्दिक अर्थ है-उपयोगिता या वांछनीयता।सामान्यतः किसी समाज में उन आदर्शों को महत्व दिया जाता है,जिनसे उस समाज के व्यक्तियों का व्यवहार निर्देशित तथा नियंत्रित होता है, जिसे… मूल्यों के विकास में परिवार की भूमिका- विमल कुमार विनोदRead more
सदव्यवहार- विमल कुमार विनोद
किसी भी व्यक्ति के जीवन में उसका व्यवहार बहुत कीमती चीज माना जाता है।व्यवहार किसी भी व्यक्ति के जीवन का एक बेशकीमती गहना माना जाता है,जिसके बिना लोगों का जीवन… सदव्यवहार- विमल कुमार विनोदRead more
जलती चितायें- श्री विमल कुमार”विनोद”
श्री विमल कुमार”विनोद”लिखित लघुकथा।मोहन बाबू जो कि एक दफ्तर में काम करते हैं।इनके परिवार में कुल मिलाकर लगभग दस सदस्य हैं, जिनमें से इकलौता कमाने वाले मोहन बाबू ही हैं।दिनभर… जलती चितायें- श्री विमल कुमार”विनोद”Read more
लघुकथा- सुधीर कुमार
” आइए हरेंद्र चाचा , बैठिए । कहिए , कैसे आना हुआ ? ” घर से बाहर आते हुए मुखिया जी ने अपने पड़ोसी हरेंद्र ठाकुर को देखते हुए कहा… लघुकथा- सुधीर कुमारRead more
हृदय परिवर्तन -सुरेश कुमार गौरव
कुंदन का परीक्षाफल आज निकलने वाला है। इसीलिए वह सुबह से ही दैनिक कार्यों से निवृत्त होने लगा। स्कूल जाने के समय तैयार हो स्कूल की ओर चल पड़ा। स्कूल… हृदय परिवर्तन -सुरेश कुमार गौरवRead more