लाल बहादुर शास्त्री-प्रीति कुमारी

लाल बहादुर शास्त्री

          सादगी और विनम्रता ही जिनकी पहचान हो। राष्ट्रहित के लिए जिन्होंने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया हो। जिनका एकमात्र उद्देश्य परोपकार और गरीबों की सेवा करना हो। ऐसे वीर महापुरुष श्री लाल बहादुर शास्त्री जी को मैं शतय-शत नमन करती हूँ।

शास्त्री जी का जन्म 02 अक्टूबर 1904
ई. को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था। जब वे मात्र डेढ साल के थे तभी इनके पिता का देहांत हो गया था। इसके बाद इनकी माता अपने सभी बच्चों के साथ अपने मायके आ गईं। यहीं पर इनकी स्कूली शिक्षा पूरी हुई।
उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए शास्त्री जी अपने चाचा के घर चले गए। उस समय हमारा देश विदेशियों के चंगुल में था और भारत माँ को आजाद कराने हेतु पूरे देश में स्वतंत्रता संग्राम छिड़ा हुआ था। इसी समय गाँधी जी ने अंग्रेजों के विरुद्ध असहयोग आंदोलन चलाया। शास्त्री जी के युवा मन पर गाँधी जी के विचारों का व्यापक प्रभाव पड़ा और मात्र सोलह वर्ष की अवस्था में वे स्वाधीनता संग्राम में कूद पड़े तथा गाँधी जी के साथ असहयोग आन्दोलन में शामिल हो गए साथ ही उन्होंने कई विद्रोही अभियानों का नेतृत्व भी किया।

1946 ईo में जब कांग्रेस का गठन हुआ तब उन्हें उनके गृह राज्य उत्तर प्रदेश का संयुक्त सचिव बनाया गया। फिर वे गृहमंत्री भी बने। वर्ष 1951में वे नई दिल्ली आये और केंद्रीय मंत्रालय में कई विभागों का प्रभार संभाला। वे पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ देश हित के लिए अपना कर्तव्य निभा रहे थे। 1964 ईo में नेहरु जी के निधन हो जाने के बाद शास्त्री जी देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने। गरीबों के मसीहा तन-मन से राष्ट्र की सेवा में लीन थे तभी 1965 में भारत-पाक युद्घ हुआ। आशा के विपरीत इस युद्घ में भारत विजयी हुआ। शास्त्री जी ने यह साबित कर दिया कि शरीर से वे भले ही कमजोर थे परन्तु मन से वे काफी मजबूत थे।
इसी वर्ष देश में सूखा पड़ा जिससे देश की अर्थव्यवस्था पर काफी असर पड़ा। अर्थिक स्थिति सुधारने के लिए शास्त्री जी ने पूरे देश को एक दिन का उपवास रखने के लिए कहा।देश की जनता पर उनका प्रभाव इतना था कि पूरे देश में एक दिन का उपवास रखा गया। साथ ही उन्होंनें देश की जनता को खेती के लिए आत्म-निर्भर बनाने का संकल्प लिया और जगह-जगह खेती करने को प्रोत्साहित किया।
उनके लिए देश के जवान और किसान दोनों ही महत्वपूर्ण थे। इसीलिए तो उन्होंने “जय जवान जय किसान” का नारा दिया था। इसी के साथ उन्होंने दुग्ध उत्पादन हेतु पशुपालन पर भी बल दिया था। यही कारण है कि उन्हें स्वेत क्रांति एवम हरित क्रान्ति का जनक माना जाता है।
शास्त्री जी का कहना था कि देश की तरक्की के लिए लड़ने के बजाए गरीबी, बीमारी और अज्ञानता से लड़ना श्रेयष्कर है। लगभग तीस वर्षों तक शास्त्री जी ने देश की सेवा में बिताया। इस दौरान उन्होंने साबित किया कि वे एक सच्चे और ईमानदार देश-भक्त थे। अपनी विनम्रता, दृढ़ इच्छा-शक्ति, सहिष्णुता एवं आत्मबल के कारण शास्त्री जी जनता के बीच काफी लोकप्रिय हुए।
जय हिंद जय भारत

प्रीति कुमारी
कन्या मध्य विद्यालय मऊ विद्यापति नगर
समस्तीपुर 🙏

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