आक्सीजन युक्त पेड़ समय की मांग है-सुरेश कुमार गौरव

Suresh

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आक्सीजन युक्त पेड़ समय की मांग है

          🌳वर्तमान में मुद्दा यह है कि वातावरण में अभी कितनी मात्रा में ऑक्‍सीजन है। यह तो हम सब जानते हैं कि हवा गैसों का मिश्रण है इसमें आक्सीजन की मात्रा २१ प्रतिशत है लेकिन अब लगता है की इसकी मात्रा में कमी आने लगी है। कोरोना काल से ही आक्सीजन मरीजों की जिंदगी के लिए यह एक प्रमुख वजह बन गया है। आज हम उन पेड़ों के बारे में जानते हैं जो सबसे ज्‍यादा ऑक्‍सीजन छोड़ते अथवा देते हैं। यह मानव जीवन के लिए बेहद जरुरी भी हैं।

🌳 पर्यावरण के लिए पीपल, बरगद,नीम, अशोक,अर्जुन, जामुन का पेड़ वरदान की तरह है। इसका मतलब यह नहीं है कि अन्य पेड़ लाभकारी नहीं हैं। सभी पेड़ अपने अपने अनुसार लाभप्रद होते हैं लेकिन यहां जिन पेड़ों की चर्चा की जा रही हैं। इसकी विशिष्टता अन्य पेड़ो से कुछ अलग हैं।
१. पीपल का पेड़ – हिन्दू धर्म में पीपल तो बौद्ध धर्म में इसे बोधी बृक्ष भी कहते है। इसी पेड़ के नीचे भगवान बुद्ध को वोधिसत्व(ज्ञान की प्राप्ति) हुई थी। पीपल का पेड़ ६० से ८० फीट तक लंबा हो सकता है। यह पेड़ सबसे ज्‍यादा ऑक्‍सीजन देता है। इसलिए पर्यावरणविद पीपल का पेड़ लगाने के लिए बार-बार कहते हैं।

२. बरगद के पेड़ – इसे भारत का राष्‍ट्रीय वृक्ष भी कहते हैं। इसे हिन्दू धर्म में बहुत पवित्र भी माना जाता है। बरगद का पेड़ बहुत लंबा होता है और यह पेड़ कितना ऑक्‍सीजन उत्‍पादित करता है ये उसकी छाया कितनी है, इस पर निर्भर करता है।

३. नीम का पेड़ – इस पेड़ के बहुत से फायदे हैं। इस पेड़ को एक एवरग्रीन पेड़ कहा जाता है और पर्यावरणविदों की मानें तो यह एक नैचुरल एयर प्‍यूरीफायर ट्री है। यह पेड़ प्रदूषित गैसों जैसे कार्बन डाई ऑक्‍साइड, सल्‍फर और नाइट्रोजन को हवा से ग्रहण करके पर्यावरण में ऑक्‍सीजन को छोड़ता है।

इसकी पत्तियों की संरचना ऐसी होती है कि ये बड़ी मात्रा में ऑक्‍सीजन उत्‍पादित कर सकता है। ऐसे में हमेशा ज्‍यादा से ज्‍यादा नीम के पेड़ लगाने की सलाह दी जाती है। इससे आसपास की हवा हमेशा शुद्ध रहती है।

४. अशोक का पेड़ – यह पेड़ न सिर्फ ऑक्‍सीजन उत्‍पादित करता है बल्कि इसके फूल पर्यावरण को सुंगधित रखते हैं और उसकी खूबसूरती को बढ़ाते हैं। यह लंबा होता है। इसका तना एकदम सीधा होता है।

पर्यावरणविदों के अनुसार- अशोक के पेड़ को लगाने से न केवल वातावरण शुद्ध रहता है बल्कि उसकी शोभा भी बढ़ती है। घर में अशोक का पेड़ हर बीमारी को दूर रखता है। ये पेड़ जहरीली गैसों के अलावा हवा के दूसरे दूषित कणों को भी सोख लेता है।

५. अर्जुन का पेड़ – अर्जुन का पेड़ हमेशा हरा-भरा रहता है। इसके बहुत से आर्युवेदिक फायदे हैं। इस पेड़ का धार्मिक महत्‍व भी बहुत है और कहते हैं कि ये माता सीता का पसंदीदा पेड़ था। हवा से कार्बन डाई ऑक्‍साइड और दूषित गैसों को सोख कर ये उन्‍हें ऑक्‍सीजन में बदल देता है।

६. जामुन का पेड़ – भारतीय अध्‍यात्मिक कथाओं में भारत को जंबूद्वीप यानी जामुन की धरती के तौर पर भी कहा गया है। जामुन का पेड़ ५० से १०० फीट तक लंबा होता है। फल के अलावा यह पेड़ सल्‍फर ऑक्‍साइड और नाइट्रोजन जैसी जहरीली गैसों को हवा से सोख लेता है। इसके अलावा कई दूषित कणों को भी जामुन का पेड़ ग्रहण करता है।

विशेषज्ञों के अनुसार कोविड-१९ के समय तो मरीजों की जिंदगी बचाने के लिए ऑक्‍सीजन का गंभीर संकट पैदा हो गया था। उस समय से ही सभी जगह ऐसे आक्सीजनयुक्त पेड़ लगाने की बातें भी होने लगी हैं। पेड़ों को धरती पर ऑक्‍सीजन का सबसे बड़ा और इकलौता साधन व श्रोत माना जाता है। यदि हमने ज्‍यादा से ज्‍यादा पेड़ लगाए होते तो शायद ऑक्‍सीजन की इतनी कमी नहीं होती और आक्सीजंन के बिना कोरोना मरीज दम नहीं तोड़ रहे होते। इसके अलावे रोगी और गंभीर बीमारी के शिकार मरीजों को भी आक्सीजन की तत्काल जरुरतें पड़ती हैं जिन्हें ससमय आक्सीजन उपलब्ध न कराई जाए तो उनकी मौत को कोई नहीं रोक सकते। कारण साफ है। यदि हम पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन चाहते हैं तो अधिक से अधिक इस तरह के पेड़ लगाने ही होंगे।

जब तक पर्यावरण में ऑक्‍सीजन नहीं होंगे हम कितने ही आक्सीजन प्‍लांट क्यूं न लगा लें जरूरत के हिसाब से ऑक्‍सीजन का उतनी मात्रा में उत्‍पादन नहीं कर सकते हैं। इसलिए बहुत जरूरी है कि हम पेड़ों को लगाने पर जोर दें क्योंकि ऐसे पेड़ सबसे ज्‍यादा ऑक्‍सीजन पैदा करते हैं। हमें अपने आसपास स्कूलों, कालेजों, कार्यालयों सहित सभी जगहों पर आक्सीजन युक्त पेड़ अवश्य ही लगाने चाहिए। पर्यावरण के संरक्षण के लिहाज से भी सभी प्रकार के उपयोगी पेड़ों का संरक्षण भी करने चाहिए।

✍️सुरेश कुमार गौरव (शिक्षक)

पटना बिहार
स्वरचित और मौलिक

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