पण्डित रामदेनी तिवारी द्विजदेनी-हर्ष नारायण दास

Harshnarayan

पण्डित रामदेनी तिवारी द्विजदेनी

          बहुमुखी प्रतिभा के धनी पण्डित रामदेनी तिवारी द्विजदेनी का जन्म 15 जनवरी 1885 को सारण जिले के नौतन में हुआ था। उनके पिता का नाम पण्डित पीताम्बर तिवारी और माता का नाम बहोरन देवी था।

ये आशुकवि के साथ-साथ गायक, वादक, नाटककार और प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे। नाटक मण्डली के संचालक और निदेशक भी रहे। द्विजदेनी जी की पहली रचना भैया जी की घोड़ी जो 1915 में प्रकाशित हुई, जमींदारी प्रथा के अन्तर्गत शोषण के विरुद्ध प्रसिद्ध व्यंग्यात्मक रचना-“दिन दहाड़े खेत उजाड़े बचे न मड़वा तोड़ी। भैयाजी से बढ़कर निकली भैया जी की घोड़ी।। आज भी यहाँ के जनता के लबों पर है। अन्य रचनाओं में भग्न बीन (कविता संग्रह) उल्टी गंगा (प्रहसन) पाण्डव निर्वासन, विष्याचंद्रहास (नाटक) गज़ल गुलजार(गज़ल संग्रह), जगदीश विनयावली(भजन संग्रह) गाँधी गुणगान, गौ, गीतावली, कौशिकी महात्म, प्रभातियाँ, कजली, सुराग रत्नमाला आदि शामिल हैं। हस्तलिखित पत्रिका का भी इन्होंने सम्पादन किया। भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लिये। द्विजदेनी जी पूर्णियाँ प्रमंडल के स्वाधीनता आन्दोलन के आदि गुरु भी कहे जाते हैं।फारबिसगंज जैसे पिछड़े इलाकों में साहित्य, सांस्कृतिक और राजनीति की जो त्रिवेणी प्रवाहित की उससे तत्कालीन अररिया जिला ही नहीं बिहार प्रान्त तक आह्वानवित्त हो उठा था। सिमरबनी में स्कूल और पुस्तकालय की स्थापना किये। महात्मा गाँधी, मौलाना मजहरूल हक, डॉ०राजेन्द्र प्रसाद, पण्डित जवाहरलाल लाल, सुभाषचंद्र बोस, सैय्यद महमूद आदि नेताओं से इनका आत्मीय संबंध रहा था। फारबिसगंज नगर पालिका के प्रथम चेयरमैन होने का भी गौरव प्राप्त है। आजादी के पूर्व स्वप्रशासन में अररिया अनुमण्डल के प्रथम विधायक के रूप में निर्वाचित हुए। अंग्रेज़ों की यातनाओं ने 18 जून 1943 ईस्वी को वे शहीद हो गये। स्वतंत्रता का डंका और शिक्षा का दीप जलाने वाले द्विजदेनी जी को कोटि-कोटि नमन।

हर्ष नारायण दास
मध्य विद्यालय घीवहा
फारबिसगंज (अररिया)

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