शिक्षक दिवस : एक आनंदमयी क्षण
शि- शिष्ट
क्ष- क्षमाशील
क- कर्त्तव्यनिष्ठ
एक शिक्षक का अपने शिष्य से
शिक्षा का होता है संबंध
एक गुरु का अपने शिष्य से
ज्ञान का होता है संबंध।
“शिक्षक दिवस” हम सब के जीवन का वो मार्मिक, आत्मीयता, हर्षोल्लास से भरा क्षण जो हमें रोमांचित कर हमें हमारे ही कल्पना की उड़ान भरने को पंख देता है। इस धरातल पर ही नहीं अपितु समस्त ब्रह्माण्ड पर इस सृष्टि के रचनाकार भी अपने गुरु पूज्य के प्रति सत संस्कार सहित समर्पित रहते हैं और उनके स्मृति एवं पदचिन्हों पर सदैव चलकर अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं।
है गुरु शिष्य संबंध सर्वोपरि
हे गुरुवर तुम हो महान
हमारे अंधेरे जीवन में
प्रकाशपुंज फैलाकर
शिक्षा दीप जलाकर
तुम देते सदैव
शिक्षा का दान
सर झुका, हाथ जोड़
हम नित्य करते तुम्हें प्रणाम।
आज का यह आनंदमयी, खूबसूरत, हर्षोल्लास से भरा अविस्मरणीय दिवस, जग में सभी गुरुजनों को समर्पित। आज इस पावन बेला में अनायास ही धूमिल होते हुए हम सभी को अतीत की ओर ले जाता और हमें भी हमारे गुरु की एक झलक दिखलाताहै। उनकी बातें याद कराकर, हमें भी उस मधुर क्षण को महसूस कर आनंदित होने का अवसर प्रदान करता है जिस पर अब कुछ धूल जम चुकी है। सचमुच कितना सुंदर, कितना आनंदित कर देने वाला क्षण, जिसमें हम स्वयं को भाग्यशाली और गौरवान्वित महसूस करते हैं। किन्तु ये क्षण, ये पल हमें यूं हीं नहीं मिला। आज यह सम्मान हमें हमारे ही तरह एक महान, आदर्श शिक्षक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस पर प्राप्त हुआ है। हम सदैव उनके ऋणी रहेंगे, उनका शिक्षा जगत में किए बच्चों के लिए योगदान को हम युगों-युगों तक याद रखेंगे, जिन्होंने इस 5 सितम्बर को खास बना दिया।
जैसा कि हम सभी पूर्व से ही अवगत है कि वो एक विद्वान् , महान दार्शनिक एवं आदर्श शिक्षक थे। उनकी कीर्ति आज भी इस आधुनिक युग में विद्धमान है। उन्हें अपने जीवन काल में स्वतंत्र भारत के प्रथम उपराषट्रपति तथा द्वितीय राष्ट्रपति बनने का सुअवसर प्राप्त हुआ और वे अपने कार्यों से इस पद की गरिमा बढ़ाकर सदैव देश को गौरवान्वित किये। उनके अनेक कीर्ति से शिक्षक समाज हीं नहीं अपितु हमारा देश भी गौरवान्वित हुआ जो भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया। उन्होंने अपनी एक अमिट छाप छोड़ी, हम मानव के मानस पटल पर। वे शिक्षा में अनन्य विश्वास रखते थे या यूं कहिए कि शिक्षा के प्रति वे जागरूक हो सम्पूर्ण समर्पित थे। वे अपने देश में हीं नहीं अपितु विदेशों में भी शिक्षा दान दिए। इतिहास उनके कार्यों को सदैव याद कर सीख लेता रहेगा।
अतीत से वर्तमान तक
हे गुरुवर तुमने ऐसी
मानस मानस पटल पर
है छाप छोड़ी
हो प्रेरित आपसे
आज किसी बच्चे का जीवन
शिक्षा बिन न रही कोरी।
मधु कुमारी
उ. म. वि.भतौरिया
बलुआ हसनगंज
कटिहार
Wah .Bahut khub…Very nice maam.👌👌