पछूवा कंपकपावे भूखवा दौड़ावे- श्री विमल कुमार”विनोद”

गाँव-गंवई भाषा में लिखल लघुकथा।कैलू नामक एक साधारण व्यक्ति जो कि दैनिक मजदूरी करके अपना तथा अपने परिवार का भरण-पोषण करता है।इसकी शादी मुनकी नामक एक लड़की से हो जाती… पछूवा कंपकपावे भूखवा दौड़ावे- श्री विमल कुमार”विनोद”Read more

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माँ का साया- श्री विमल कुमार “विनोद”

रबिया नामक एक साधारण परिवार की औरत जो कि बड़े अरमान के साथ अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को जन्म देने के लिये उत्साह से ओत-प्रोत होकर उसके सकुशल… माँ का साया- श्री विमल कुमार “विनोद”Read more

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पागल कौन?” -श्री विमल कुमार”विनोद”

श्री विमल कुमार”विनोद”लिखितनरेश नामक एक छोटा सा बालक जो कि बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि का था जिसका जन्म एक साधारण से परिवार में हुआ था।बचपन से ही लोग कहा… पागल कौन?” -श्री विमल कुमार”विनोद”Read more

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“चलो विद्यालय चलें”-श्री विमल कुमार

ओपनिंग दृश्य गाँव का दृश्य-बहुत सारे बच्चे-बच्चियाँ खेल रहे हैं।कुछ बच्चे गाय-बकरी चराने जा रहे हैं।इसी समय कुछ बच्चे जिनके कपड़े फटे-पुराने हैं जो कि उसी रास्ते से होकर विद्यालय… “चलो विद्यालय चलें”-श्री विमल कुमारRead more

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दुर्लभ-जल- श्री विमल कुमार”विनोद”

ओपनिंग दृश्य-बहुत सारी महिलायें माथे पर घड़ा लेकर पानी लाने गाँव के बाहर पानी लाने जा रही है,लेकिन कुआँ के सूख जाने के चलते महिलाओं को पानी नहीं मिल पा… दुर्लभ-जल- श्री विमल कुमार”विनोद”Read more

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बाल-अधिकार- श्री विमल कुमार”विनोद”

ओपनिंग दृश्य-(एक शिक्षक जो कि गाँव के विद्यालय में कार्यरत है,जो कि ग्रामीण को अपने बच्चों को पढ़ने के लिये जाने को कहते हैं)शिक्षक-बहन जी,आपलोग अपने बच्चे-बच्चियों को विद्यालय पढ़ने… बाल-अधिकार- श्री विमल कुमार”विनोद”Read more

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“होनहार बालक” – श्री विमल कुमार”विनोद”

पृष्ठभूमि-मनोज एक दिन टहलते हुये गाँधी मैदान पटना पहुंचा।वहाँ उन्होंने एक बालक को एक “कागज का टुकड़ा” उठाकर पढ़ते देखा।बालक जो की गरीबी की मार से त्रस्त था एक पुरानी… “होनहार बालक” – श्री विमल कुमार”विनोद”Read more

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गरीबी की कब्र पर पनपी हँसी-श्री विमल कुमार” विनोद”

एक बड़े शहर के चंराहे पर सुबह के 10 बजे एक चमचमाती हुई कार ट्रैफिक पर आकर लगती है।उसी समय एक लड़की जो कि फटी हुई सलवार तथा पायजामा पहनी… गरीबी की कब्र पर पनपी हँसी-श्री विमल कुमार” विनोद”Read more

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झगड़ैया”-अंगिका लघुकथा -श्री विमल कुमार”विनोद”

“झलिया”नाम केरो एगो पाँच बच्छर केरो लड़की जे कि भोरे सुति ऊठी केरो बाद से ही जिनगी भर गाँव घरो म जरा जरा बातो में झगरा करैय छलय। ऐकरे उपर… झगड़ैया”-अंगिका लघुकथा -श्री विमल कुमार”विनोद”Read more

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चरित्रहीन”-02 -श्री विमल कुमार”विनोद”

एक गाँव में सुशीला नामक एक 20 वर्षीय औरत जिसकी शादी रामू नामक एक साधारण आदमी से हुई थी।रामू एक साधारण मजदूर था जो कि प्रतिदिन मजदूरी करके शाम को… चरित्रहीन”-02 -श्री विमल कुमार”विनोद”Read more

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