नेकी
माणिकपुर गांव में स्वरा नाम की एक लड़की रहती थी। स्वरा बहुत ही उत्साही और कल्पनाशील थी। वह दयालु और बेहद मददगार भी थी। वह दोस्तों के साथ रोज़ नए नए खेल खेलती थी। एक रोज़ यूं ही सभी दोस्त खेलने आए तो अचानक से स्वरा ने कहा,”चलो आज सभी जंगल की तरफ़ खेलने चलते हैं और कुछ नया सीखते हैं।”
सभी बहुत खुश हुए और उत्साहित होकर जंगल की ओर चल पड़े। जंगल में चलते हुए कुछ ही दूरी पे अचानक उन्हें किसी के रोने की आवाज़ आई। वो सभी ध्यान से उस आवाज़ का अनुसरण करते हुए चलने लगे। कुछ ही देर में उन्हें एक झोपड़ी नज़र आई,रोने की आवाज वहीं से आ रही थी।
सभी वहां पहुंच कर थोड़ी देर को तो असमंजस में खड़े रहे । फिर स्वरा ने सभी को उत्साहित किया और सतर्कता से झोपड़ी में प्रवेश किया। स्वरा ने देखा एक बूढ़ी औरत बैठी रो रही थी। स्वरा ने जाकर उनसे रोने का कारण पूछा….दादी मां,क्या हुआ?आप रो क्यों रहीं हैं?
बूढ़ी औरत ने आश्चर्य से उन बच्चों की तरफ देखा और कहा…”अरे तुमलोग कौन हो और यहां कैसे आए?
स्वरा ने फिर पूरी बात दादी मां से कहा। अब आप हमें बताइए आप रो क्यों रहीं हैं?
तब दादी अम्मा ने कहा,बेटा मै बहुत बूढ़ी हो गई हूं और को काम नहीं कर पाती। मुझे खाना देने वाला भी कोई नहीं है। भूख की तीव्रता से ही आज मै रोने लगी।
स्वरा उसके दोस्त ये सब सुनकर बहुत ही दुखी हुए। सबने आपस में विचार किया और दादी से कहा…दादी मां आप थोड़ी देर रुको,हम अभी आते हैं। यह कहकर सभी जंगल की तरफ चले गए। थोड़ी देर में जब वो वापस आए तो उनके हाथ विभिन्न प्रकार के फलों से भरे थे।
स्वरा ने सभी फल बूढ़ी औरत को दिए और कहा…”दादी मां फिलहाल आप इन फलों से अपनी भूख मिटाओ और फिर मेरे साथ मेरे घर चलो।
दादी मां फल देखकर बहुत खुश हुई सभी को आशीर्वाद दिया और सभी के साथ मिलकर खाने लगी। फिर स्वरा उन्हें अपने साथ अपने घर ले आई,जहां उनके अभिभावक ने भी उनके इस कार्य के लिए स्वरा को शाबाशी दी। अब दादी मां और सभी बच्चे रोज शाम में आपस में बैठकर कहानी सुनते और खुशी से रहने लगे।
यह कहानी हमें बताती है कि हमें अपने साथ अपने आस पास के बुजुर्गों और बेसहारों की सहायता करती रहनी चाहिए।यदि हम नेक कार्य करते रहें और एक दूसरे का सहयोग करते रहें तो किसी भी समस्या को हल कर सकते हैं।
श्वेता साक्षी
खगड़िया बिहार
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