सोनी की सीख
विद्यालय में गर्मियों की छुट्टियां शुरू हो गई थी। सभी बच्चे बहुत खुश थे। सबसे ज्यादा खुश थे छोटे-छोटे बच्चें जिन्हें घर के कामकाज में हाथ नहीं बंटाना पड़ता था। उनके लिए छुट्टियों का मतलब था पूरे दिन मस्ती ,खेल-खुद,तालाबों में नहाना।गांव में खासकर बच्चों की छुट्टियाँ कुछ अलग तरीके से ही पूरी होती।
हर रोज की तरह उस दिन भी गांव के बच्चे,गांव से सटे बड़े से पोखर के पास इकट्ठे हुए। पोखर के पास एक बड़ा सा आम का पेड़ था। कुछ बच्चे पोखर में नहाने के लिए उतर गए। मोनू को शरारत सूझी वह आम के पेड़ पर चढ़ गया। उसे जरा भी डर नहीं लग रहा था।वह बंदर की तरह कभी इस डाल तो कभी उस डाल उछल-कूद कर रहा था।
पेड़ पर कई तरह के चिड़ियों के घोसले भी बने हुए थे।
मोनू की इस अजीबो गरीब हरकत से चिड़ियाँ डरने लगी।
उन्हें लगने लगा कि कहीं उनके चूजों को कोई हानि न पहुंचे।
नीचे पोखर में नहा रही सोनी को यह सब अच्छा नहीं लग रहा था। वह बहुत ही समझदार और सीधी-साधी लड़की थी हमेशा दूसरों की मदद करती थी, पेड़-पौधे और पशु पक्षियों से भी बहुत प्यार करती थी। सोनी हमेशा अपने बगीचे में पक्षियों के लिए बर्तन में पानी और दाना रखा करती थी। उसने नीचे से मोनू को आवाज़ लगाई। “मोनू कल ही बारिश हुई है पेड़ भी गीला है,तुम इस तरह की हरकत न करो,देखो चिड़िया भी डर रही है”।और अगर तुम भी गिर गए तो तुम्हें भी चोट लग सकती है। पेड़ के मालिक से डांट पड़ेगी सो अलग। इसलिए तुम नीचे उतर आओ और हम लोगों के साथ नहाने का आनंद लो।
पर शरारती मोनू कब सुनने वाला था। वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आया। और कुछ देर बाद ही उसका संतुलन बिगड़ गया और वह धड़ाम से पेड़ से नीचे आ गिरा।उसे हाथों में चोट आई थी।वह रोने लगा। यह देख सोनी पानी से निकल दौड़ कर आई,उसके साथ उसके दोस्त भी आए।
सोनी ने तुरंत पास के पौधों से कुछ पत्तियां तोड़ी ,उन्हें हथेली पर मसल उन्हें चोट वाली जगह पर लगाया।
मोनू को तुरंत दर्द से आराम हो गया। मोनू ने सोनी से माफी मांगी और कहां मैंने अगर तुम्हारी बात मान ली होती तो मुझे चोट न आई होती । आगे से मैं तुम्हारी बातों का ध्यान रखूंगा। और शरारत नहीं करूंगा। और सभी दोस्त खेलने के बाद हंसी-खुशी अपने घर लौट आए।
सीख : अपने मित्रों की दी गई अच्छी नसीहतों का हमेशा सम्मान करना चाहिए।अच्छे मित्र हमेशा हमारा भला ही सोचते हैं ।
बिंदु अग्रवाल शिक्षिका
मध्य विद्यालय
गलगलिया किशनगंज बिहार